ऊंची अट्टालिकाओं में सुकून कहाँ है।
प्रकृति के पास रहने का जूनून कहाँ है।
बहती धारा,नदी का किनारा,मन्दिर प्यारा
फूलों की डाली तितली का कोकून कहाँ है।
रहता जो कभी सपनो में मेरे हरपल हरदम
ऋषिकेश के पास वो मेरा देहरादून कहाँ है।
खत मिलते थे पहले जो वो कागज़ कलम कहाँ,
इंटरनेट में गुम हुए वो महकते मज़मून कहाँ हैं।-
20 MAR 2022 AT 9:25