खुद होकर बाजारू,
तुम मुझे इस शहर बदनाम करती हो।
जाना,
क्यों ऐसा काम, तुम अब सुबहो शाम करती हो।
जिस्म की प्यास,
सबसे बुझवाने की, तुम इतंजाम करती हो।
जाना,
क्यों बंद कमरे की काम, तुम अब खुलेआम करती हो।
जो काम मैंने नहीं किया,
वैसे झूठ बोल बोलके, तुम मेरी इज्जत शर्मशार करती हो।
जाना,
ऐसे काम करके, किस बात पे तुम गुमान करती हो।
खुद होकर बाजारू,
तुम मुझे इस शहर बदनाम करती हो।
जाना,
क्यों ऐसा काम, तुम अब सुबहो शाम करती हो।
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मसरूफ़ थी काम करने में मगर यही एक काम नहीं कर पाई साज़िशे तो मैंने बहुत की लेकिन मर नहीं पाई..!
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दिल तो ले ही लिया है मेरा
अब मेरी ज़ुबान लोगे क्या,
मैं प्यार नहीं करती तुमसे
ये सब ख़ुद से मान लोगे क्या,
और तुमसे दूर हूँ तो यक़ीन
मानो जी मैं भी नहीं पा रही हूँ,
जब से मिले हो रुला ही रहे हो,
बोलो अब जान लोगे क्या..!-
किरदार बेवफाई का तुम बड़े सच्चे दिल से निभा लेते हो,
रूह से रिश्ता तोड़ कर जिस्म से रिश्ता जोड़ लेते हो,
कहीं सामने ना आ जाए ये बेवफाई की सच्चाई,
इसी डर से मजबूरी बोलकर प्यार का रिश्ता तोड़ लेते हो-
Governments cheat poor people
Politicians cheat poor people
Businessmen cheat poor poeple
Everyone cheat poor people
Because they can't afford
revenge on rich and powerful people
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तेरी एक तस्वीर संभाल रखी है आज भी,
बे-वफाई की एक बेहतरीन मिसाल हो तुम।-
सजा में माफ़ी दे दी क़ातिल को,
वो अब जो हिसाब लेने आये तो ज़िन्दगी तू ज़रा मुस्कुरा देना !!-