शाख से पत्ते, यूँ ही नहीं गिरते हवा के झोंके से
उन्हें भी तो बेइंतहा मोहब्बत होती है जमीन से-
वजूद-ए-इश्क़ के सच्चे गुलशन तो,
कागज़ और कलम में ही दिखते हैं
जो घिस,समा,एक दूजे आगोश में,
कितनी अमर कहानियाँ लिखते हैं।-
दिल से,दिल तक फिर,
दिल ने, दे दी दस्तक
तो शिद्दत -ए- दिल से,
उसे स्वीकार करते हैं
कौन कहता है प्रिये कि,
मैं,, पास नहीं तुम्हारे
हम तो परछाई बनकर,
संग साथ में चलते हैं-
दिल तो बेशक उनके हवाले किया मैंने।
मेरे मन को कब अपना आशियां बनाया
ये हमें पता नहीं।
गुनाह तो बेशक किया था
उन्होंने हमें सताने का।
पर बेगुनाह कब उन्हें दिल ने बनाया,
ये हमें पता नहीं।
वो लफ्जो में थे मेरी ,कब मेरी जुबां बन गए
ये मेरी रूह को भी पता नहीं।-
प्रिय मृगनयनी तुम ...
भोर की, शीतल मीठी पुरवाई तुम
तो,, सांझ ढले की गोधूलि हो तुम
दिव्य निशा की चंचल चांदनी तुम
तो, पूनम का पूर्ण वो चाँद हो तुम
तन-मन,,प्रेम रस सराबोर तुम्हारा
मीठी सी, रसभरी कामिनी हो तुम
भीग जाते हैं,, लब याद में तुम्हारी
मेरे,भीगे लबों की मुस्कान हो तुम-
ना चाहूँ मैं चमक-धमक दिखावा,
और ना,,,ये सोना चाँदी हीरे मोती
मैं तो,, चाहूँ बनना मुस्कान तुम्हारी,
जो सदा,,लबों पर सुशोभित होती-
छोटी सी, जीवन फिल्म के छोटे से,अभिनेता ही हैं हम
किरदार ऐसा, निभाना कि, सुपरहिट हो जाए ये फिल्म-
चूड़ियों की खन- खन
पायल की,, छम- छम।
गजरे की जूही खुशबू
करधन की,ये लटकन।।
होंठन की लाल लाली
कानों की सुंदर बाली।
बिंदी की शोभा न्यारी
सूरत लगे बड़ी प्यारी।।
गोरी-गोरी, छोरी छोरी
कच्ची कैरी लागे भोरी।
कुदरती,, रचना कोरी
हृदय बसी भोरी छोरी।।-
हक़ीक़त बन जाते हैं ख़्वाब जब,
विश्वास खुद पर पूरा होता है,
कटीली राहें हो जाती हैं मखमल,
जब चलने का इरादा होता है,-
करते हैं प्रेमवंदन फिर अभिनंदन
प्रिय प्रेयसी पधारो न हृदय हमारे
आ गईं,, बारिश की रिमझिम बूंदें
तुम भी,, आ जाओ आंगन हमारे
पइयाँ अति सोहे, रजत पैजनियाँ
छम-छम पैरी, तुम छनका जाओ
पुष्प करते डाल पर मिलन इशारे
सुंदरी तुम भी, पधारो हृदय हमारे-