मेरी उँगलियों के
पहाड़ों पर जो तुम्हारी
बिंदियों की चिपचिपाहट
बर्फ़ सी मशरूफ़ है
सब चिढ़े से रहते हैं
मेरी चिपकाने की नाकामयाबी से-
A blot of muck on my laptop screen turned into a bindi on your forehead when I maximised your WhatsApp DP. I texted, "You look beautiful in bindi."
"You have never seen me in bindi, I rarely wear them. Stop kidding me," you protested. I sent a photograph of the shimmering screen. Your bright face cast off the evil-eyes of onlookers with what seemed kohl inking that bindi of yours. It took you a while to recognise yourself. How, you asked. I described how it was the stain on my screen instead of Photoshop that turned you into this stunning Fab India model. I anticipated an eye roll, a reprimand. None of that happened. Your infamous OCD for cleanliness went for a toss as you replied with something utterly odd, oddly romantic: "Daag achhe hain."-
Wo kehta tha mujhe mai
apni bindi me sadgi aur jhumke
me uski jaan rakhti hu .-
ना हमे प्यार है.. हमारी उन निंदियो से,
हमे तो प्यार है.. आपके माथे पे लगाये बिंदियो से ।
ना हमे प्यार है.. किसिके हमे मिलने से,
हमे तो प्यार हैं.. आपके कानो मे हिलते झूमके को देखने से ।
ना हमे प्यार है.. कीसिसे साथ बतियाने से,
हमे तो प्यार हैं.. आपकी नखराली उस नथनीयो से ।
ना हमे प्यार है.. पैसो की उन गड्डियो से,
हमे तो प्यार हैं.. आपकी लहराती घनी जुल्फो से ।
ना हमे प्यार है.. लगाये आपके बंधनो से,
हमे तो प्यार हैं.. आपके हात मे पहने हुये कंगनो से ।
ना हमे प्यार है.. चिखती उस चिल्लरो से,
हमे तो प्यार हैं.. छुम छुम बजती आपके पैंजनो से ।
क्या ये प्यार भि कोई प्यार है...??
हमे तो प्यार हैं.. आपके उस कुदरती खुबसुरती से.. ।-
देखकर आपको...
बस देखता ही रह गया,
तेरे हुस्न का नूर...
मेरे आखो मे छा गया !!
बडी कातीलाना लगती हो आप,
माथे पे बिंदी के साथ,और सलवार सूट मे !!
जैसे मेरे सपनो की परी,
छोड दि हो खुदा ने मेरे ही आंगन में !!-
पूरी दुनिया बाँध रखी है मानो माथे की उस लाल बिंदी में,
और ये मूर्ख देखो तुम्हें बाँधने चले थे उस चारदीवारी में।
-
ख़ुद को सँवारते वक़्त.....
मैं माथे को भी सज़ा लेती हुँ!!!
हाँ ,मैं अक्सर बिन्दी लगा लेतीं हूँ..
नापसंद हैं मुझे काजल , ना लबों को सजाना .....
हाँ पर पसंद हैं मुझे छोटी सी बिंदी लगाना-
ये बिंदी...
तुम्हारे प्रेम का
प्रतीक ही नहीं,
परन्तु यह मेरा
तीसरा नेत्र भी हैं!
अर्थात...
सृष्टि की हर
प्रेमपूर्ण स्त्री के भीतर
व्याप्त हैं...
एक प्रलयकारी रूप शिव का!-
Aaina Ke Kisi Kone Me Purana Bindi Sa
Chipka Rahun Me
Kabhi Suna Lage Tumhare Matha To Jagha
Badal Dena Mera-