जीवन रूपी अथाह सागर में,
इक छोटी सी नाव और तुम,
हज़ारों तूफ़ानों में भी,
नैय्या पार लगाती तुम..
तुम कोमल हृदया राधा सी,
शक्ति स्वरूपा भी तुम हो,
मीरा सी तुम प्रेम पुजारिन,
कांती रूप निर्मल तुम हो..
क्यों हार मान रही जीवन में,
तुमको अभी लड़ना होगा,
कितने भी कठिन हो हालात,
तुमको आगे बढ़ना होगा..
मुखौटों की इस महफ़िल में,
पहचानो संगदिल रूपों को,
जीवन के कुछ व्यथित क्षणों में,
आत्मसम्मान न धूमिल हो..
ईश्वर से ये करूँ प्रार्थना,
तम से कभी न व्याकुल हो,
कितने भी तूफाँ हो जग में,
राह कभी न विचलित हो..
-