वो स्कूल के दिन और वो स्कूल के दोस्त,
वो दोस्तों के साथ की हुई मस्तियाँ और वो घुमना,
वो कभी कभी ना चाहते हुए भी दुखी होकर स्कूल जाना,
और फिर दोस्तों के साथ हँसते हुए वापिस लौटना,
वो बारिशों में छुट्टी का इन्तज़ार करना,
वो ट्यूशन की शाम जो थी दोस्तों के नाम,
वो टीचर के ना रहने पर शोर मचाना,
फिर प्रिंसिपल को देखकर अचानक शान्त हो जाना,
वो काम का बहाना कर दोस्तों के साथ पुरे स्कूल का चक्कर लगाना,
फिर पकड़े जाने पर टीचर की डांट खाना,
स्कूल में पढ़ने के लिए जाना पर वहाँ से ढेर सारी यादें लेकर लौटना,
सच में ये सब बहुत अब बहुत याद आता है,
सोचा था की बड़े होंगे तो जिन्दगी आसान होगी,
पर अब जिन्दगी और उलझती जा रही,
और अब स्कूल के वो दिन बहुत याद आते हैं...!
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