तुझको लिखकर खुदको मिटाने लगा,
देखा पहली दफा और पन्नों पर उतारने लगा।
किस्से सरेआम होने लगे हमारी मोहब्बत के,
तुमको छुपाकर खुदको बदनाम करने लगा ।
-rajdhar dubey-
Bas ab likhna band kar raha hu,
Teri yaadon ko khudke alfaazo se alag kar raha hu,
Kya pata, Kahi tu kal ko yeh bhi na kah de,
Ki mai tujhe likh kar, badnaam kar raha hu
Bas isliye,ab likhna band kar raha hu.....
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_नाम_
दुनिया की सुने... वो 'बेनाम' होते है
जो दिल की सुने... 'बदनाम' होते है
इबादत-ए-इश्क़ ना कर ए गालिब
के सच्चे आशिक़ 'गुमनाम' होते है....
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उम्र भर की इज्ज़त...
आशिकी में निलाम हुई...
मोहब्बत के नाम पर...
हादसों से मुलाकात हुई...-
मेरी मोहब्बत की दौलत को....
वो इस तरह नीलाम कर गया...
महफिल में खुद तालियांँ बटोरी...
और हमें बदनाम कर गया...-
जो होना है उसे हो जाने दो,मोहब्बत बदनाम करती है तो हो जाने दो।
लोग कहते हैं कि इश्क, मोहब्बत सब झूठ है,
मोहब्बत हो रही है उससे, अब बस हो जाने दो।
-rajdhar dubey-
Tasvir ko bhi b'dalte dekha hai maine
majboot se majboot dil ko
tukdo me bikharte dekha hai maine ,
Kaise kahu ki ye ishq ek naam hai
Ye to tasvir se lekar dil tak
har jagah hi badnaam hai-