हिस्सा नहीं बनना है मुझे इन गद्दारों की कहानी का, रूह रहकर भी क्या करेगी जब तक खून ना उबले जवानी का। रूह तड़पती होगी उन वीर भक्त अभिमानी का जो लिए तिरंगा डटे रहे इस देश के स्वाभिमानी का।
ज़िन्दगी के माइनो को, ख्वाहिशों के बाद लिखना है। मुस्तकबिल के पहले, आज का साज लिखना है। मुझको तेरी दुनिया, तुझको आबाद लिखना है। जब ये सब पूरा हो जाए, खुद को आज़ाद लिखना है।
Ajadi ka din Bhut Khushi h hme ki aj k din hi hmara Desh ajad hua tha... Ajad h hm hr vo cheej krne k liye jo kanuni dayre me ata h.. Ek saval hai mera sbse Desh ko to ajadi mil gayi pr riston me ajadi kb ayegi kb hr ghrki beti apni soch duniya k samne rkh payegi.. Are ajad h hm to q aj bhi kisiko kisi riste me jbrdsti Bandha jata h, aur gltise gr kuch shikayat krde to unka muh kshkr dbaya jata hai... Q aj bhi risto Ko bnaye rkhne k liye pyaar ka upri dikhava krna pdta h,q risto Ko bnaye rkhne k liye khudki khwaishon Ko marna pdta h... Ajad h hm pr risto me ajadi kb ayegi, kb duniya risto me azadi ka mol smjh payegi... Khush hu Mai ki Desh aj un angrejo k changul se ajad h, pr khudke mn ki chidiya khokhle risto k changul se ajad kb ho payegi.... Ajad Desh h Abhi ajad riste niii h, ajad hm h Abhi ajad gm nii h
"मन मेरा चंचल है... मुँह से बात निकल गयी... हाथ गलती से उठ गया..." हम अपने मन और इन्द्रियों के गुलाम हैं गलत आदतों की गुलामी से हमें आज़ादी पानी है स्वराज्य (self-rule) से ही स्वतंत्र (self-control) होंगे मन वही सोचे जो मुझे सुख दे मुख वही बोले जो दूसरों को सम्मान दे हाथ वही कर्म करें जो सृष्टि को सुन्दर बनाये || Happy Independence Day || ✍.. — (Writer) Sandipan Saha
कोई रास्ते में खड़ा अपना फ़र्ज़ भुला रहा है कोई इंसानियत का अपना कर्ज चुका रहा है ये देश नहीं ये घर है मेरा, कोई आज मेरे ही घर में आग लगा रहा है.
बेशक ज़ल रही है सपनों की चिंगारी लेकिन आज मेरे देश को जरूरत है हमारी साथ में लड़ेंगे तो जीत होंगी हमारी, ये काग हर जगह गा रहा है ये कोई अपना नहीं जो ये झाग फैला रहा है.
हालात ठीक होने को नहीं आ रहे और लोग सुधरने को हर घर में हर जगह पुलिस नहीं है गुजरने को अब मेरे मुल्क की जीमेदरी है हमारी और उस सोच को भी सलाम जो हर जगह जा रहा है और गदारी करके जनत जाने का राग गा रहा है .
एक पल का भरोसा नहीं लेकिन लोग आज अपना ईमान बेच रहे है पैसों के लिए महंगा करके समान बेच रहे हैं सब भूल गए कि कुछ याद आ रहा है ना जाने ये इंसान आजकल कौन सा बाग लगा रहा है.
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