ज़िन्दगी में आँसुओं का ग़म नहीं
मौत को क्या रास आए हम नहीं
चल सको तो चल ही देना साथ में
इश्क़ में तो मंजिलें भी कम नहीं
वाक़िआ मैं क्या सुनाऊँ इश्क़ का
रो रहा हूँ आँख भी अब नम नहीं
बद-नसीबी कह रही है सुन भी लो
क्या दुआओं में ज़रा सा दम नहीं
शहर 'आरिफ़' का नहीं है इस तरफ़
हम-सफ़र क्या बस वही है तुम नहीं-
7 OCT 2020 AT 23:11