जो दिल से निकले,उन्हें दिल से निकाल दिया,
ऐ हुजूर! शौक हमनें भी शायरीयों का पाल लिया!
कहते हैं लोग, कुछ दिनों से, वो मेरे पड़ोस में रहते हैं,
चलो देख के तो आये,अब उन्होंने कहाँ ढेरा डाल लिया!!
छिपते-छिपाते पहुँच तो गया मैं पते तक,
उन्होंने फिर मुझसे इक सवाल किया!
इतने दिनों से कहाँ थे तुम जनाब,
उनके इस सवाल ने मुझे फिर झमेले में डाल दिया!!
-
मैं दुनिया को हँसाना कब सीख गया,
मुझे अब तक समझ नही आया!!
मैं पागल होना कब सीख गया,
मुझे अब तक समझ नही आया!!
तुम भी क्या साहब उनकी बाते करते हो,
मै तो कब का दर्द छिपाना भी सीख गया!!
मुझे अब तक समझ नही आया,
-
दौड़ा था वो शक्स चाँद को आगोश में लेनें,
चंद दूरी का फ़ासला रह गया दरम्यिान दीदार के!
आयेंगे फिर इक दफा तुजझे मिलने,
इन सारे गिले-सिकवों को दूर करनें,
Proud to our isro🇮🇳-
भूल किसको और कौन जाता है"बदनाम"
पूछोगे तो जानोगें, खामोशियों की जुबां!-
इक मोहब्बत ने मोहब्बत को रूला दिया,
अरे कौन अच्छा था,मैनें भी तो उसे भुला दिया!
दिन को रात तो कमबख्त मैनें किया,
और दोष शराब का भी उस पर लगा दिया!!
-
बस नाम के पत्थर बने बैठें है लोग,
सच कहूँ तो दर्द उनको भी होता हैं!-
दर्द से महकना भी छोड़ दिया उस गुल ने "बदनाम",
जो कभी काँटों के बीच भी पूरा खिला करता था!-