नेक सा ख्याल ले, दो रूहो को मिलाने चला था,
आंखे बिछाकर मैं अपनी, दुनिया उसे दिखाने चला था।
नही जानता था, के उसे आदत है खेल जाने की,
मैं नादान, पत्थर को मोहब्बत सीखाने चला था।।
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आंखों पे सजे कईं रंगीन ख्वाबो को चुराता हूँ,
मैं दिल बन, खुद ही होले होले धड़कता जाता हूँ,
बहक जाता हूँ जब सांसो में भरकर मद्धम सा संगीत,
तब जाकर तुम पर कहि एक ग़ज़ल लिख पाता हूँ ।-
अर्रे मैं अपनी ज़िंदगी से खुश हूं दोस्तो,
मुझे ज़िन्दगी में कोई गम नंही है ।।
ये मेरे अश्क़ नही ये तो मोती हैं,
हां मैं बिखरा ज़रूर पर मेरी आंखे नम नही हैं।।
वो तो मैं तुझसा प्यार तेरी आवाज से भी करता हूँ,
वरना आवाज ही तो है, ये सुरीली सरगम नही है।।
तेरी परवाह करता हूं, क्योंकि बसा लिया है तुझे रूह में,
वरना जानता हूँ मै भी, के तू मेरी हमदम नहीं है।।
ये जो लोग मुझे समझाते है, के तुझसे मोहब्बत छोड़ दु,
ये ही तो मेरे जख्मो पर नमक है, ये कोई मरहम नहीं है ।।
दिल्लगी मैने की थी, तो ज़िन्दगी भर निबाहूँगा भी मैं ही,
एक मैं तो वफादार हूँ, वरना बेवफा तू कम नही है ।।
है गम तो बस इस बात का, तुझे पता भी नही मेरी चाहत का,
हाँ सच में तुझसे मोहब्बत बेपनाह है मुझे, ओर ये कोई मेरा भरम नही है।।
एक पत्थर को तेरा नाम दिया है, रोज़ बाते करते करते मैं उसे चूम लेता हूँ,
वरना पत्थर एक पत्थर ही तो है, वो कोई तेरा गाल नरम नही हैं।।
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O!
Ohh! My love hold me
like you hold a newborn child.
Hold my finger &
take me with you a mile.
Feel your name in my
heartbeats,they're seemed to mild.
And it's only you who can melt
my heart and make it soft from wild.
To, From,
Someone Unknown. गुमनाम मैं ।।-
अब बस मर जाना चाहता हूँ,
नही है मोहब्बत मैं सबको बताता हूँ,
पर जहां भी जाता हूँ, तुझको ही पाता हूँ ।
बेदर्दी में इस कदर डूबा रहता है दिल,
चाहकर भी तुझे भूला नही पाता हूँ।।
अब बस मर जाना चाहता हूँ ।
वो ख्वाब आंखों पे अब नही सजाता हूँ,
मंजिल पता नही, मगर चलता जाता हूँ।
खलिश ऐसी है दिल मे मोहब्बत ए बेखुदी की,
के भूलके खुद को बहुत दूर निकल जाना चाहता हूँ।।
अब बस मर जाना चाहता हूँ ।
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She - दिल अगर बेनकाब होते ,
तो सोचो कितने फसाद होते ।
Me - खुद पे उठे सवालो के जवाब रखने चाहिए,
पर्दा नही, हमे आंखों पे ख्वाब रखने चाहिये,
फसाद जीवन में लाख होते है होने दो, मगर
चेहरा और दिल हमेशा बेनकाब रखने चाहिए।।-
अकेलेपन से दूर हरियाली में जो पेड़ खड़ा है, वो हमेशा खुश ही है, ऐसा भी तो जरूरी नही,
वही हरियाली में एक मृग व्याकुल पड़ा है, सब कुछ है उसके पास, मगर एक उसकी कस्तूरी नही ।
उसी हरियाली में बन्दर का बच्चा पाबन्दी में दुखी बैठा है, क्योकि गिरोह से बाहर जाने की उसे मंजूरी नही,
और मैं तो वो शेर हूं, जो अकेला ही बेहद खुश हूँ, क्योकि मेरे बस का तो किसी की जी-हुजूरी नही ।।
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अपने ही कुछ फैसलो पर यूँ शर्मिंदा हूँ ।
के मैं आज ज़हर खाकर भी जिंदा हूँ ।।-
पूछता है एक फौजी तुमसे ,
के मरना इतना आसान है क्या ?
कुछ बेक़दर लोगो की खातिर, अपनी बेकद्री में , वतन की कद्र करते करते,
भाई और बाप को सरहद पर खोने के बाद, खुद को खोने से अब डरते डरते,
मौत का सामना करते, मौत से लड़ते, रोज़ सरहद पर मौत से मरते मरते,
अब भी मैं थका नही हूँ, बैठा हूँ पर रुका नही हूँ,
पूछता है तुम लोगो के लिए हमारी जान कोई जान है क्या,
सरहद पर आके मरके तो देखो ,
मरना इतना आसान है क्या?
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मिलेगा क्या कोई ऐसा जो ठोकर खाके भी
किसी के नाम का पयाम लिए घूमता है,
देखों उसे, वो दिल में दर्द, आंखों में नमी
और होठो पर मुस्कान लिए घूमता हैं।
वो शेर है मगर अब टूट चुका है फिर भी
घबराएगा नही, किसी को कुछ बताएगा नही,
वो चोट अपनो से खाये हुए है, अपने अंदर
गम-ए-रिश्तों का कब्रिस्तान लिए घूमता है ।
वो दिल में दर्द, आंखों में नमी ओर
होठो पर मुस्कान लिए घूमता है ।।
वो दिल में दर्द, आंखों में नमी ओर होठो पर मुस्कान लिए घूमता है ।।
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