यूं सब ने तुम्हें पढ़ा होगा,
ख्वाब कोई और गढ़ा होगा,
मैंने भी देखी हैं तेरी आखें,
पर क्या किसी को,
ये कलयुग का सूरज दिखा होगा।-
किसी ने शब्दों का ताज पहनाया था,
किसी ने वाह-वाह कर हौसला बढ़ाया था,
कुछ लोगों ने मेरा मजाक भी उड़ाया था,
तब जा कर कही ये शायर मेरे अंदर आया था।-
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मां दशमी पास थी मेरी,
पर मुझे मुझसे और दुनियां,
दोनों से ज्यादा जानती थी।-
Kalme b jeena sikha deti h insaan ko
Dwaat ki taakat km thori h
Sirf saase lena hi zindagi nahi
Kyuki saans lene wala hr shaks yaha zinda thori h-
यूं नाराज़ है सबसे,
फिर भी चमक रहा हैं,
उस चांद से सीखो,
वो अब भी कितनों को खल रहा है,
बर्बाद हुआ है इश्क़ में,
मगर हर किसी का मरहम बन रहा है,
दिल टूटे आशिकों को एक यहीं,
तलबगार लग रहा है।-
थोड़ा हौंसला पस्त रखना था,
तुम्हें तो अभी ज़िन्दगी में,
कई रास्तों का सफ़र करना था,
लगता हैं मायूस हो गए हो ज़रा,
तुम्हें अभी मंजिलों का चयन करना था,
गिर कर उठना और फिर चलना था,
ख़ामोशियों में दबे पलों को निचोड़ना था,
ज़िन्दगी के अनुभवों से बहुत कुछ सीखना था,
तुम्हें इस मतलबी दुनियांँ में ख़ुद से मतलब रखना था,
परेशानियों को अपने सर से हटा कर,
ज़िन्दा होने का अनुभव करना था,
इस समाज की दौड़ से दूर रहते तुम,
आकाश तुम्हें तो मनमौजी बनाना था,
लगता है इस दल-दल में फस गए हो तुम,
तो बताओ क्या इस पैसे और दौलत के साथ मरना था।-
यूंँ तड़पा गई हैं मोहब्बत तेरी,
अब क्या खफा़ होगी,
तुझे चाहुंगा ताउम्र,
पर तुझसे ना अब मुलाक़ात होगी।-
वो अनपढ़ था साहेब,
काम को ही पूजा मानता रहा,
हम डॉक्टर थे साहेब,
रोज़ मरीजों का वक्त पत्थर की मूर्त्ति को देते रहे।-
गलतियांँ सारी तेरी हैं कैसे कह दूँ,
गुस्ताखियांँ तो मैंने भी बहुत दिखायी थी,
अरे मैं तो तेरे से दूर जाने के बाद रोया था,
जिस पल हम साथ थे तब मैंने भी तेरे आंँखो से कितने अश्क बहाये थे।-