थोड़ा हौंसला पस्त रखना था,
तुम्हें तो अभी ज़िन्दगी में,
कई रास्तों का सफ़र करना था,
लगता हैं मायूस हो गए हो ज़रा,
तुम्हें अभी मंजिलों का चयन करना था,
गिर कर उठना और फिर चलना था,
ख़ामोशियों में दबे पलों को निचोड़ना था,
ज़िन्दगी के अनुभवों से बहुत कुछ सीखना था,
तुम्हें इस मतलबी दुनियांँ में ख़ुद से मतलब रखना था,
परेशानियों को अपने सर से हटा कर,
ज़िन्दा होने का अनुभव करना था,
इस समाज की दौड़ से दूर रहते तुम,
आकाश तुम्हें तो मनमौजी बनाना था,
लगता है इस दल-दल में फस गए हो तुम,
तो बताओ क्या इस पैसे और दौलत के साथ मरना था।
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