याद रख,
अपनी काबिलयत पर इतना गुरूर ना कर,
बिना जाने तूफ़ानों को, मोड़ने की बात ना कर,
वक़्त के साथ सब बदल जाता है अजित,
पहिले की कामयाबियों पर इतना गुमां ना कर।
insta- writer_ajit1-
बेवफाई नहीं वो मोहब्बत का ही दूजा रंग था,
तेरी मोहब्बत का रंग सच्चा और मेरा फरेब था।
insta- just_ajit-
कहानी मुख्तसर थी हमारे इश्क़ की,
गलतफहमी यह दुनियां से मिटा ना सके।
छोड़ महबूब हमें क्या चला गया,
इश्क़ पर भरोसा दुनियां को दिला ना सके।
यह दुनियां क्या जाने इश्क़ हमारा,
वो साथ ना रहा मेरे तो हम जता ना सके।
इक बार जो हुए थे हम उनके,
फिर ताउम्र हम किसी और के हो ना सके।
insta- writer_ajit1-
हम वो है जो "दिल" और "जिस्म" दोनों पर लिखते है,
इक बार आ तो सही, हम "कमाल का बवाल" लिखते है।-
अक्सर साथ बैठ बतियाते हैं।
कुछ कहे और अनकहे अफसाने।
insta- writer_ajit1-
हम इन्सान तो सिर्फ बात करते है,
मुद्दे छोटे हो या बड़े बातों में सुलझाते है,
लेकिन गलतफहमी है यह कुत्तों की,
जो उन्हें लगता है कि सभी उनकी तरह भौंकते है।
insta- just_ajit-
आ तुझे सीने से लगाकर,
थोड़ा इश्क़ कर लूं।
बाहों में आज तुझे लेकर,
आगोश में भर लूं।
होठों से तेरे होंठ लगाकर,
लिपस्टिक चुरा लूं।
हौले से बदन को छूकर,
तेरी रूह चुरा लूं।
insta- writer_ajit1-
हिन्दी के लिए,
हिन्दी के ही देश में,
हिन्दी दिवस के रूप में,
हिन्दी की ही,
बरसी मनाई जाती हैं।
insta- writer_ajit1-
तेरा जिस्म लहराकर,
मेरे पास आना।
जैसे तू कोई लहर,
मैं सागर का किनारा।
सहमा सा अहसास,
उफनती सांसे।
दूर से आती जैसे,
सागर की लहरें।
तेरे लबों का,
मेरे प्यासे लबों से टकराना।
जैसे लहरों का,
सूखे किनारे से टकराना।
वो जिस्मो का मिलना,
और तेरा मुझ पर छा जाना।
जैसे लहरों का आना,
और किनारे पर बिछ जाना।
हमारी खामोशी,
और मदहोशी,
खामोश किनारे पर,
जैसे लहरों की मस्ती।
समां कर मुझमें,
एक-दूसरे में खो जाना,
जैसे लहरों का,
किनारे में खो जाना।
insta- writer_ajit1-