मेरी सर्द खामोशियों का गुनगुना शोर हो तुम
मेरी काली बेचैन रातों की मीठी भोर हो तुम
निराशावाद से जूझते मेरे मन की आशा हो तुम
मूक दुःख में से उभरी ईमानदार भाषा हो तुम
कठिन से इस जीवन की मीठी बयार हो तुम
टूटे दिल को जोड़ने वाले अज्ञेय प्यार हो तुम-
अच्छा
खंडित सत्य
सुघर नीरन्ध्र मृषा से,
अच्छा
पीड़ित प्यार सहिष्णु
अकम्पित निर्ममता से।
अच्छी कुण्ठा रहित इकाई
साँचे-ढले समाज से,
अच्छा
अपना ठाठ फ़क़ीरी
मँगनी के सुख-साज से।
अच्छा
सार्थक मौन
व्यर्थ के श्रवण-मधुर भी छन्द से।
अच्छा
निर्धन दानी का उघडा उर्वर दुख
धनी सूम के बंझर धुआँ-घुटे आनन्द से।
अच्छे
अनुभव की भट्टी में तपे हुए कण-दो कण
अन्तर्दृष्टि के,
झूठे नुस्खे वाद, रूढि़, उपलब्धि परायी के प्रकाश से
रूप-शिव, रूप सत्य की सृष्टि के।
-'अज्ञेय'-
Sometimes we need a miracle
to believe in life,
that after a painful
heartbreak,you will get
a new beginning,
that hidden behind
hopelessness is a beautiful
dream which will eventually
come true,that all the
hard times will be taken care of...
#Agyeya is my ray of light
when life gets surrounded
by gloomy clouds.-
दिन के उजाले में अनेकों नाम सब के समाज में हँसी-हँसी सहज पुकारना, रात के सहमे अँधेरे में अपने ही सामने अकेला एक नाम, बड़े कष्ट से, अनिच्छा से
सकारना।
कौन-सा सच है?
सब की जीत की खोज कर लायी हुई खुशी में अपनी हार को नकारना।।
या कि यह : कि एक ही विकल्प है हार को लब्धि मान अपने मिटने पर ही अपने को वारना?
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" के जन्मदिन पर सादर नमन।🙏🙏🙏🙏🙏-