सपने जितने साथ बटोरे थे वो सारे बिखर रहे हैं
वो प्यार के पौधे जो हमने लगाएं थे वो भी उखड रहें हैं।-
संभालना चाहा जो खुद को कई दफा,
ढलना चाहा जो इनमे कई दफा,
टूटा हुआ समेटना चाहा जो कई दफा,
हर दफा थोड़ा मुझे और बिखेर जाते हैं।
कातिल हमारे बेशक बहुत प्यारे हैं,
कभी खंजर बदल देते तो कभी खुद बदल जाते हैं।
इस अज़ीयत के दुनिया में भी शायद कहीं दूर ,
कुछ पल सपनो की दुनिया सजाई जो हमने,
हमारे होठों पे मुस्कान दिख जाए इन्हें कभी,
थोड़ा सा जहर और घोल जाते हैं।
कातिल हमारे बेशक बहुत प्यारे हैं,
कभी खंजर बदल देते तो कभी खुद बदल जाते हैं।-
कातिल हमारे बेशक बहुत प्यारे हैं,
कभी खंजर बदल देते तो कभी खुद बदल जाते हैं।
ना जख्म ना आँशु ना हमारी बेबशी कभी दिखी उन्हें,
हर पल हर दफा थोड़ा दर्द और डाल जाते हैं।
कातिल हमारे बेशक बहुत प्यारे हैं,
कभी खंजर बदल देते तो कभी खुद बदल जाते हैं।
सालों से शिशे की तरह तोड़ने के बाद ,
तुम इतने चुभते क्यों हो अक्सर ही पूछ जाते हैं।
कातिल हमारे बेशक बहुत प्यारे हैं,
कभी खंजर बदल देते तो कभी खुद बदल जाते हैं।
ना रोने देते ना हसने दे पाते ना मारने देते ना जीने दे पाते,
हमारी जिंदगी में दखल कुछ यूँ डाल जाते हैं।
कातिल हमारे बेशक बहुत प्यारे हैं,
कभी खंजर बदल देते तो कभी खुद बदल जाते हैं।
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