"नारायण की नाभि से, महादेव के त्रिशूल से
मेखलाओं के संवेग से, संसार के मूल से
पुनर्जीवित पृथ्वी के क्षितिज के भेदों में
नए युग के हर प्राणी के स्वेदों में
दिखेगा तो केवल प्रेम ।"
◆【पूर्ण अनुशीर्षक में】◆-
एक पत्र है पुरानी सी
तुम्हारी स्याही की खुशबू लिए
परन्तु कागज़ ने पीलापन ले लिया है
हाँ, बिल्कुल हमारे प्रेम की भाँति
एक गुलाब का फूल भी
संकुचित दबा हुआ पन्नों के बीच
परन्तु अपना सुगंध खो बैठा है कहीं
हाँ, बिल्कुल हमारे प्रेम की भाँति
कुछ पुरानी यादें भी हैं
धूमिल सी शायद वर्षों की धूल से
परन्तु पुरानी तस्वीरों में अब भी मौजूद
हाँ, बिल्कुल हमारे प्रेम की भाँति
हाँ, प्रेम की निशानियाँ बहुत है
परन्तु प्रेम के निशान अब कहीं नहीं-
मेरी चाहतों का आगाज़ बस तू है
मेरे दिल में छुपा हर राज बस तू है
मेरे गीतों के सुर का साज बस तू है
हर पल दिल से आई आवाज बस तू है
मेरी मंजिलें जहाँ जाए पता बस तू है
दिल करना चाहे जो वो ख़ता बस तू है
दिन का देखा हुआ मेरा सपना बस तू है
इस बेगानी दुनिया में मेरा अपना बस तू है
मैं जगना न चाहूँ जिसमें वो रात बस तू है
तोड़े से भी न टूटे वो अटूट साथ बस तू है
माना इस दुनिया में सबसे ख़ास बस तू है
पर इस नाचीज के दिल के पास बस तू है-
तेरा मेरा रिश्ता जैसे सदियों का नाता हो
हर पतंग का जैसे धागा साथ निभाता हो
तू मिले मुझसे तो दिल ऐसे पिघलता है
जैसे सुनार किसी सोने को पिघलाता हो
तेरा मेरा रिश्ता जैसे संगम की कहानी हो
तू प्यारी है मुझको जैसे बूढ़े को जवानी हो
प्रीत संग तू मुझमें समा जाती है कुछ ऐसे
कथाकार के मन में कोई पुरानी कहानी हो
तेरा मेरा रिश्ता जैसे बादल मोर को लुभाता हो
गर्म रेत में जैसे नीर का हर कतरा समा जाता हो
तू मुझमें शामिल है जैसे कोयल में कोई गीत बसा
तेरे मेरे प्रीत में हरपल कोई रासगीत बन जाता हो-
गंगा सा पावन है या समुद्र सा खारा है ये
मेरा इश्क़ है तुझसे कैसा बस खुदा जानता है
पूरी जिंदगी पर तेरा नाम लिख दिया है मैंने
तू जरूरी मेरे लिए कितना बस खुदा जानता है
मैं जिंदगी का सफर बस तेरे साथ चाहता हूँ
मुसाफ़िर बन जाऊंगा कैसा बस खुदा जानता है
अकेला हूँ बस तुझसे लिपट जाना चाहता हूँ
तेरा लिबास बनूँगा कैसा बस खुदा जानता है
कभी तुझे मनाने को मैं शब्दों से खेल जाऊँ
शायर बन जाँऊगा कैसा बस खुदा जानता है
नहीं चाहता मैं कुछ और बस तुझे चाहता हूँ
सुकून मिलेगा मुझे कैसा बस खुदा जानता है
तू सामने नहीं तो तेरी तस्वीरे ही देखता रहूँ
एहसास होता है ये कैसा बस खुदा जानता है
चलो आज तुमसे इश्क़ का इज़हार करता हूँ
जवाब होगा जाने कैसा बस खुदा जानता है-
Oh ! Shining star
No doubt, you're bright & beautiful
In whole constellation, you're profound
But whenever she dance in celestial lights
She is the pattern of cosmic dots
Where every answer, I found
Heaven's beauty, writer's story
I found her in every poetic muse
She is in my mind and soul
I want her really, will not make any excuse.
Oh! Moon, I'm sorry too
For comparing you to her
But she looks utopian, imaginary
She is special, I love her the deepest
If I write a poem
I'll make her ordinary
//Read full in caption//-
दुनिया में
अनगिनत भाषाएं हैं
कई लिपियां भी
पर, लगता है जैसे
कोई भी भाषा
प्रेम की व्याख्या को
पर्याप्त नहीं
मुझे विश्वास है
जिस रोज
कोई प्रेम में होगा
वो 'मौन' सुनेगा
वो 'आंखें' पढ़ेगा
मुझे विश्वास है
प्रेम संसार की
सबसे सरल भाषा है।-
जाहिल सी लड़की है
मेरी कविताएं
हां, पसंद हैं
उसे पढ़ना भी
हां, वो भी पसंद है
पर समझना....
.
.
.
नहीं
वो नहीं समझती
उसमें छिपा हुआ प्रेम
उसे दिखता ही नहीं
मेरे हर शब्द में
उसका नाम ।
मैं भी गूंगा हूं
कुछ कहता नहीं
बस देखता रहता हूं उसे
कहीं दूर से-
एक रोज
शायद
जब फूल न खिले
उन बागों में,
नदियां बर्फ हो जाए
पहाड़ों में कहीं
समंदर जम जाए बादलों में,
धरा को मिले न
सूरज की गर्माहट,
और चांद भी
जरा दूर आए नजर,
मैं भी कह दूं शायद
जा मुझे भी
अब मोहब्बत नहीं तुझसे ।
पर,
कयामत के उस दिन तक
मेरे पन्नों में छिपे फूलों का
आंखों से बहे नदियों का
हृदय की सारी गर्माहट का
मेरे बिखरे हुए ब्रह्मांड का
मेरी कविताओं का
सारा प्रेम
सिर्फ तुम्हारे नाम।-
मुमकिन है कि ये खता हम बार बार करेंगे
हर मर्तबा ये इश्क़ तुमसे यूं सौ बार करेंगे
यूं तो तरस जाते हैं हम तेरे दीदार को, मगर
फिर भी ख्वाबों में हर बार तेरा इंतजार करेंगे-