कैद हूँ तुझमें में इस कदर ,कि दूर जा नही सकता
राज़ सारे पता हैं तुम्हें,अब और पर्दा हो नहीं सकता
आरजू इतनी है,कि बाजार तेरा हो और खरीददार भी
बिक गया हूं मैं,तो मैं खरीददार हो नहीं सकता
ताउम्र तुम्हारे रहेंगे, मंज़र चाहे जैसे भी आये सामने
जो खुद समंदर के हवाले हो,उसे कोई डुबो नहीं सकता
अर्श भी तुम हो , फर्स भी तुम तो यहाँ पर
जो कैद हो पिंजड़े में , वो परिंदा उड़ नहीं सकता
ऊब जाओ मुझसे तो , किसी और के हवाले न कर देना
मर मिटा हो जो एक बार, दुबारा मर नहीं सकता
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