ज़िंदगी की सच्चाइयाँ
सिखाती हैं झूठ बोलना-
10 DEC 2016 AT 5:01
कैसे दूँ तुझे
मैं
प्यार की जिंदगी ।
मैं
खुद जी रहा हूँ
उधार की जिंदगी।-
4 OCT 2016 AT 20:35
फैलते शहर में सिकुड़ती गयी जिंदगी
कभी रेंगती कभी उड़ती गयी जिंदगी
बहुत सिखाया इसे सीधी राह पकड़ना
हर अनजान मोड़ पर मुड़ती गयी जिंदगी-
1 MAR 2017 AT 16:44
मैंने कभी उसे पढ़ते नहीं देखा, पर वो लिखता कमाल का था। उसने जिंदगी की किताब पढ़ी थी।
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29 NOV 2016 AT 6:55
तेरी जिंदगी में
मेरी अब कोई जरुरत नहीं है
मैं हो गया हूँ पुराने कैलेंडर सा।-
7 MAY 2019 AT 17:28
ज़िंदगी के पन्ने पलट कर देखो
कितना मरा हूँ मैं हर एक पन्ने में-
29 APR 2017 AT 6:03
लोबान सी हो गयी है ये जिंदगी
जितना सुलगती है, उतना महकती है-
7 DEC 2016 AT 6:04
तुम अब भी जुड़े हो मेरी जिंदगी से,
और साथ ही दर्द भी जुड़ा है जुदाई का।-
22 NOV 2016 AT 12:40
देखा है हमने, मौत को करीब से,
जिन्दा हैं हम, जिंदगी के नसीब से।-