हम जीना भूल गये
ज़िंदगी तो मिली
मगर ज़िंदा लाश बन गये...
आखों में चुभे किसी की
हम धूल बन गये...
बेगानों को समझ अपना
जीना चाह रहे थे पल
अब तो जीना भूल गये
बस साँस चल रही...
बस साँस चल रही ।।।
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तुम
अपने लिये समझा ना तुमने 😜
इंसान कहानी किसी की लिखता
समझता कोई ओर है
ज़वाब कोई ओर है देता....
क्या ज़माना आ गया 😝😝😝
भाई साहब ये
मेरा लेखन है ....
नदिया के प्रवाह की तरह
बहता जायेगा...
डगर डगर ।।।
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मुस्कराहट की वज़ह माना जिसे
खंजर सा वार कर गया....
चाह थी जिंदगी भर साथ निभाने की
दो पल भी ना साथ चल सका...
मुस्कान बिखरी आंसू बिखरे
मिली तो मिली कहानी
अनकही अनजानी
वो अजीब सा ज़ज्बात
बेचैन कर गया..।।।
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सही
मैं भी सही
ख़राब हैं तो हैं
बस हालात
हम तो बस ज़ालिम
हालातों की कठपुतली भर हैं
गलत तुम भी नहीं
गलत मैं भी नहीं
सही
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अब तो
घर से घर तक पहुंच जाते हैं
काम खत्म कर परिवार संग
इकरार तकरार भरे पल
और अनगिनत यादें
बनतीं जाती हैं.....
अब तो शाम होते ही
हम घर से घर तक पहुंच जाते हैं ।।-
ज़िंदगी...
तुम्हें हर पल मुस्कुराना है,
खुद के सुकून,ज़ज्बात और
ख्वाब के लिये ...
तुम्हें हर पल
मज़बूत बन चलते जाना है...।।
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We are happy to have you...
In case,
the feeling is not mutual...
God bless you.
More is not in fashion,
We are happy with few🙃
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