हर पिछड़े व्यक्ति की पहचान है,
पारंपरिक परिधान में हो औरत,
तो लगती उन्हें समाज की शान है,
गऱ चले बदलते दौर के हिसाब से,
औरत
तो कलंक बोलकर उसकी छवि की
धज्जियां उड़ाने का अधिकार क्यों इनके पास है?
जितना गिराना चहो उसे,वो मजबूती से और निखर आएगी
ठान लें गऱ तो वो दुनिया से लड़ अपनी खुद की पहचान
बनाएगी।
आज नारी को की किसी से कम ना समझो
गऱ अपनी करनी पे आई तो सबको धूल चटा जाएगी
जिल्लत के लड्डू के हकदार बनेगा हर वो व्यक्ति
जिसने कभी किसी औरत की इज्जत पर उंगली उठाई है।
इज़्ज़त करो हर लड़की, हर औरत की तुम भी पुण्य कमाओगे
इस बात को गऱ ना समझ पाए, हर औरत की जिंदगी में आए तुम जोकर से कम नहीं कहलाओगे।।
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हर लम्हें में दिल ये गुम सा हैं
खेल ये सारा पहली नज़र का हैं
बेपनाह चाहत हुईं जो
किया ये नजरों ने
दिल से इशारा ही कुछ ऐसा है।।
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Heights of insanity😆😆😆
* Ek trf Wo log jo salamti k lie
Siddat se traffic rules follow krte h
* Phr ate h wo log jo helmet hath m pehnkr
Khud ko "RACE" ka hero smjhte h😎-
दलालों की कमी नहीं थी , रिश्तों में आग लगाने
पता तब लगा जब, बातों का असर उनपर होने लगा
कमी उस रिश्ते की नीवं में रह गयी शायद मेरी तरफ से
पर ये सोच मेरे प्यार को कम ना कर सकतीं थी ना
सुनी एक बात थी मैंने :
छलनी से पानी हर बार रिसता है
लम्हा वो भी कमाल हुआ, बर्फ बनते बाजी पलट गयी।।
फिकी इतनी मेरी मोहब्बत़ नहीं
4 दिन के आये लोगों के लिए
बदल दूं मैं रवैया अपना
इतनी किसी की औकात नहीं।।-
// Irony //
The fact is society puts pressure on people but, the irony is people here are being a society crushing the socialite despite being a socialist.-
Not changing yourself for someone else is fine ,
But part of you must also try to be the person that others want you to be ,
And a balance must be maintained so that you don't loose yourself either in the course of making others happy ,
Otherwise if you be stubborn and adamant on being only the person you want to be , people who care about you may start leaving you ....
And you will be left alone ,
Maybe even live Alone ,
And there's a slight chance of even dying alone ....😟😟-