hi i am savita sharma
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सफर ! कैसा भी हो
कौन रुका है
यहाँ किसी के लिए🌹
ठहरे साहिल को भी
दरिया ने फिर कहाँ
मुड़ के देखा... !!🌹-
एक घर की आबरू की हिफाज़त की उसने
और दूसरे घर से बेइंतहा मुहब़्बत भी की.. !!
अफसोस फिर भी दोनों घर उसके ही ना हुये
एक में फर्ज निभाया तो दूसरे की ख़िदमत की... !!
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मैं रूठ जाया करती हूँ बातों ही बातों में
और छेड़ कर मुझे तुम मना ही लेते हो..
दरमियाँ हो जायें ग़र बिछड़ने की बातें
मेरी तरह आखें नम तुम भी करते हो..
लड़ते हो इस बात पे कि वक़्त दिया करो
अपने सारे काम मेरे बाद ही किया करो..
खाने में हर दूसरा निवाला मेरे नाम होता है
कहते हो साथ खाने से प्यार जो बढ़ता है..
मगर आंख खुलते ही ये ख़्वाब टूट जाते है
भीड़ के बीच दोनों दिल तन्हा रह जाते है...
हकीकत में ये ख़्वाब महज़ ख़्वाब ही रह गया
आवाज़ हमने ना दी तो ख़ामोश वो भी हो गया...
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ज़िंदगी के सफर में एक कमी
तमाम उम्र खलती रही...
जैसे बहुत जरूरी चीज रखी
तो हो घर में पर मिलती नहीं... !!
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हवाओं के ये मिजाज़ हमें जचते नहीं हैं
इसलिए हर आहट पे अब उठते नहीं है...
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अक्सर गुमगश्ता हो जाते हैं वो मुसाफ़िर
चलते चलते जो ठिकाने पूछते नहीं हैं...
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वो मिजाज़ उनका ग़र वो भूल जाये तो
ये आदतें हमारी हम कुछ भूलते नहीं हैं....
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मेरे ही इर्द गिर्द फैली थी कुछ तस्वीरें मेरी
अफ़सोस उन तस्वीरों में हम दिखते नहीं हैं...
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लौटना भी चाहें तो किस राह से लौटेंगे
रास्तों के निशां भी हमें मिलते नहीं हैं....
गोगी
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मैं किसी सुबह की तरह रोज आंगन में उतरती हूँ
वो धूप की तरह छुपके खिड़की से झांकता है..
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वो खुश्बू तेरे वज़ूद की मुझे घेरती है आज भी
वो जायका तेरी हंसी का दिल कहाँ भूलता है..
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छूकर जाता है जब जब ख़्याल मुझको तेरा
देर तलक दिल मेरा बस धड़कता ही रहता है ..
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ज़िक्र तेरा छिड़ जाये तो फिर बात ही कुछ और
मेरे घर का कोना कोना कई दिनों तक महकता है..
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पल भर में तमाम हो जाती सदियों की मीठी बातें
मौत से बदतर तब होता है जब वो लहज़े बदलता है...
Gogi
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वो सुनाने के लहज़े तो फिर भी
माफ़ कर दिये हमने....
मेरी सुनने की मजबूरियाँ
अब भी माफ़ी की कतार में हैं... 🌷🌹-
खाली दीवारों से ही बात हुआ करती हैं
निकली तस्वीरों के निशां अब भी बाकी है...
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हर्फ़ों को लिखने का अंदाज़ बदला है हमने
कलम की ज़ुबां पे एहसास अब भी बाकी है..
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लफ़्ज़ों में कह दिया नहीं रहा कोई राब्ता
ख़्यालों से ज़ुदा होना तेरा अब भी बाकी है..
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थकी हसरतों ने मेरी दम तोड़ा नहीं अब तक
ख़्वाबों का नूर आंखों में मेरी अब भी बाकी है..
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कैसे बताऊं दुनिया को मैं अपना कोई ठिकाना
मीलों सफर बाद ख़ुद की तलाश अब भी बाकी है..
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डूब जाने का ख़तरा है ये जानने के बावजूद
गहरे दरिया को पार करना मेरा अब भी बाकी है..
गोगी गुप्ता
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