गुरु द्रोण ने छला निष्ठा के मार्ग से
एक निर्दोष भोले अरण्यक को
अरण्यक जो उन्हें अपना गुरु मानता रहा
और स्वयं छले गए अपने ही
एक शिष्य के हाथों
शिष्य, विश्व जिसे धर्मराज मानता रहा
अश्वत्थामा की सभी प्रचलित दंतकथाएं
केवल दंतकथाएं नहीं
उन अगणित भोले अरण्यकों की सम्मिलित
करुण आहें हैं जो आगे जाकर
एक क्रूर आदिम व्यवस्था की समिधा बनेंगी!
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8 APR 2020 AT 14:37