हम तो पहले दिन पर ठहरे है...
हमें खबर नहीं थी आजमाने की....-
18 SEP 2020 AT 18:34
तेरे गली में मैंने इतनी दी है दस्तकें
तुझे कोई जुंबिश हुई या नही ।
तेरे एक तबस्सुम के लिए देखता तुझे रहता
खुश रहता मै,तुझे ज़ाहिर हुआ या नहीं ।
काश तेरी जिंदगी के लम्हों में थोड़ी हिस्सेदारी हो मेरी
मेरी बात का इस्बात भी है ,तुझे पता है या नहीं ।
हा पता है तेरे चाहने वाले शहर में है बहुत
उसमे हूं पहले मै ये ,एहसास तुझे हुआ या नहीं ।
(इस्बात-प्रमाण)(जुंबिश- हलचल)(तबस्सुम-प्रसन्नचित्त भाव)
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25 JAN 2021 AT 14:13
{ Bewafa pyaar }
सायाद उनका आखिरी हो ये सितम ।।
हर सितम ये सोच कर हम सेह गए ।।
वो सिर्फ हमसे मुहब्बत करते हैं ।।
इसी झूठ में जीते रह गए ।।-