सब्र करने की आदत हैं मुझे वर्षो तक इस सच से वाकिफ हो तुम पर इंतजार इस बार मेरी मर्जी से नहीं खत्म होगी इस सच से अजनबी हो तुम फैसले तुम्हें जल्द लेने की आदत है पर फैसले इस बार तुम्हारी मर्जी की मैंने मांगी नहीं इस सच से वाकिफ हुं मैं पर तुम्हें खामोश कर देने वाले हलात से अजनबी हूंँ मैं
तुम आँखों से पीला देते हो, अपनी बातों में भुला देते हो, कभी यादों से रुला देते हो, कभी सपनों से मिला देते हो जब भी मिलता हूँ तुमसे मैं, तुम मुझे मेरे खुदा से मिला देते हो - सुयोग पोतदार
किसीने पूछा उससे, तू क्यों उससे इतना प्यार करती हैं जब तुझे पता हैं कि वो बात बात पे तुझसे झूठ बोलता हैं.. उसने हस के जवाब दिया - जीतना झूठ उसकी बातों में हैं ना, उससे कई गुना सच्चाई उसकी आँखों में है ! - सुयोग पोतदार