बिसाल ए यार में इतना खो गए हम
हिज़्र ए तनहाई में रोना भूल गए हम
दिसंबर ने हमको बताया तू जा चुका
तुझे खुद में ही ढूंढते हुए रह गए हम
कोई नया खत नहीं आया नए साल पे
तेरे पुराने खत पड़ते हुए रह गए हम
क्या उम्मीद रखे इस नए साल से 🥹
परम हर साल बर्बाद ही होके रह गए हम-
चीख उठती है उम्र जिम्मेदारियों की बोझ से
साल नया हो या पुराना कहां फर्क पड़ता है
आज भी परिस्थिति वही है जो कल थी ...
नया साल है नई उमंग है
इस सोच के साथ फिर आगे बढ़ते हैं
की आने वाला कल बीते हुए कल से बेहतर होगा
Happy 2025 ...☺️
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छेड़ना ना तुम ज़िक्र अब गुज़रे मलाल का,
इस्तीक़बाल तो करो यार इस नए साल का
माज़ी का शुक्र मुस्तक़बिल की कर उम्मीद,
चमक उठा आसमान मे शम्स नए साल का
महक उठा ख़ुशबू से गुलिस्ता ए जहाँ सारा,
गुल खिल उठा है बाग़ मे फिर नए साल का
किस्से मरहलो मे बीती है ये सारी ज़िन्दगी,
जुड़ रहा है फिर एक किस्सा नए साल का
सुख़न वरी के तर्ज़ से ताउम्र ये बेख़बर रही,
कुबूल हो ये तोहफ़ा-ए-वैदेही नए साल का-
" खामोश है कलम....,
शब्द भी खामोश हैं....,
लबों पे ख़ामोशी...
बसर गुमनामी में...,
अब बता ज़िन्दगी...,
और क्या है....?
मुकम्मल तरीका...,
तुझे जीने का.........!! "
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बीते लम्हें याद आकर पलकों को भिगों देंगे,
नये सफर में नये एहसास तुमको महकाएंगे।
दुआओं का सिलसिला यूही चलता रहेगा,
सलामती के लिए सबकी हम रोज यही कहेंगें।।-