ना कोई घर है ना कोई ठिकाना है,
इस दुनियां में औरत का ना अपना कोई,
पीहर में पराई, सासरे में पराए घर से आई,
जिसको सौंप देती अपना तन मन,
अरे सखी वो शौहर भी बेगाना है।।
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4 SEP 2021 AT 0:47
ना कोई घर है ना कोई ठिकाना है,
इस दुनियां में औरत का ना अपना कोई,
पीहर में पराई, सासरे में पराए घर से आई,
जिसको सौंप देती अपना तन मन,
अरे सखी वो शौहर भी बेगाना है।।
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