कौन कहता है ख़्वाहिशों का शमशान नहीं होता
मुर्शद, एक बार खुदमें झाँककर तो देखो
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जो सत्य जीत के द्वार आएगा ,
शमशान उसी के गीत गाएगा।
जय श्री महाकाल
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मुझे खुद में दफ़न कर, "शमशान" बना कर चले गए,
हिसाब हम भी लेंगे "कयामत के दिन" जिन्दा होकर।-
इन ख़ुशियों की तलाश में लाश होते जा रहे हैं
ख़ुद की जगह शमशान के पास होते जा रहे हैं।-
ये लकीरो का खेल तब तक है जनाब ,,,,,
जब तक शरीर मे जान है,,,,,
मरने के बाद तो जाना सबको शमशान है,,,,,,
वहाँ जल जाती है सब नसीबो की लकीर,,,,,
वहाँ क्या अमीर क्या फकीर।-
सब लोग खामोश थे,
माहौल गमगीन था,
किसी की नजर घड़ी पे थी,
कोई मोबाइल से खेल रहा था,
कोई कोने में,
रूमाल से नाक को ढकता हुआ,
इंतजार में,
जाने के,
शमशान से..
सब ख़ामोश थे फिर भी,
बस हड्डियां और लकड़ियां,
#ध्वनि कर रही थीं,
मानो कह रही हो,
याद रखना,
एक दिन लौट के आओगे,
किसी को कंधे में लेकर
या किसी के कंधे पर ।।
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"कोरोना विशेष"
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जीवितों को अस्पताल नही मिल रहा है,
तो मृतकों को शमशान नही मिल रहा।।
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"अच्छे दिन आ गए।।"
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अवाम अंधेरों का साथ दे बैठी,
अब चिताओं से देश रोशन हैं..!!-