दिल से पुकारा था, आँखों से भी बुलाया था,
पर दूंगा आज आवाज...फिर देखा जाएगा!
आया था कई बार तेरे दर पर बिना आहट के,
दूंगा दिल पर दस्तक अब...फिर देखा जाएगा!
कितनी ही स्याही जाया की रंगीन कागजों पे,
लिखूंगा आज खत तुम्हे...फिर देखा जाएगा
मिलता हूँ रोज तुमसे तेरे ख़्वाबों ख्यालों में,
करूँगा आज मुलाकात..फिर देखा जाएगा!
देखा तुमको जी भर के और देखा चोरी चोरी,
अब होउँगा तुमसे रूबरु...फिर देखा जाएगा!
हिचक अब बहुत हुई, मेरा सब्र हुआ बेसबर,
करूँगा आज ही इजहार...फिर देखा जाएगा!
कुछ बातें है जज़्बाती, कुछ अनकहे अल्फ़ाज़,
लिख दूंगा इक किताब...फिर देखा जाएगा ! _राज सोनी-
जिस्मानी नहीं, आज मोहब्बत रुहानी करते हैं,
आंखों से चूमते हैं, होंठों को आराम देते हैं।-
रुक खुशी के पल अभी साथ मत छोड़ ।
की मुझे जि लेने दे ज़िंदगी थोड़ा सा और।-
इंसानियत बदली, जिंदगी के दायरे बदले,
ख़ुदग़र्ज़ क्या हुए ,
तो सीरत बदल गई ,
कुछ लोग ख़ुद का ना देख कर,
सोचते हैं कि पूरी दुनिया बदल गई।-
ये कैसा सुरूर है, ये कैसा करार है,
मैं तेरे पास हूँ या तू मेरे पास है..!-
वो आए थे हमें बर्बाद करने मोहब्ब्त का नज़राना लेकर
हमनें भी शोहबत में उन्हें केवल मोहब्बत दी।-
कोई ढूंढें मुझे,
मैं हूं खत में लिखी
कोई बात पुरानी
आब-ए-रवां
न कोई गुजरी कहानी
मुअम्मा के लफ्ज़ों का
गहरा मा'नी
मिजाज़ है इश्कियां
ना किसी की हूं
दीवानी मस्तानी
खानाबदोश सी मैं,
है तसलीम मुझे
सिर्फ क़फ़स रूहानी!
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मजहबी इश्क हैं मेरा, ख़ुदा तुम हो इसके,
मैं कितना भी रूठ जाऊं लौट तेरे दर पर ही आऊंगा।
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कब हमने तुम्हें खुद को सौंप दिया
कव हमने तुम्हे अपना बना लिया
कब हमारी मुहब्ब्त ने जिस्मानी ना होकर
रूहानीयत का रूप धारण कर लिया
राधा कृष्ण जैसी हमारी जोड़ी ने हमें
पूरे संसार मे मशहूर कर दिया-