मैं पूनम की प्रभा
तू सूरमा चंद्र की
मैं खग विहग सा
तू छाँव नभ उपवन की
मैं सावन की सतरंगी
तू तारों की कोकिल रानी
मैं संध्या शिशिर की
तू चमचम प्रभातफेरी
मैं उत्स महीधर का
तू जलमाला रत्नवती की
मैं हर मन की उमंग
तू हर लब की ग़ज़ल
मैं सोंधी सी खुशबू
तू महक संजीवनी
मैं अर्पित तेरे हर उद्भव का बालक
तू प्रकृति माँ मेरी हर जनम की मैय्या-
मैं एक पथिक चंचल सा
तू समीर सी बेजोड़ साथी
मैं नभ में उड़ता लहराता पतंग
तू शीतल सी प्रकृति मेरी छंद
मैं दरिया का मीठा पानी
तू ममता सी मिश्रित घोल
मैं मोती-सा बूँद चौमासा की
तू शोर सी लहर समंदर की
मैं महकता मंज़र ऋतु वसंत का
तू कलरव स्वर-गुंजन माधुर्य सी
मैं गुनगुनाते झींगुर की कलकल
तू सरसराती नदियों की हलचल
मैं धरा की नवीन अंकुरण
तू नीर-लीन बरसती मेघ
मैं अर्पित बालक तेरे हर उद्भव का
तू प्रकृति माँ मेरे हर जनम की-
मैं महक फ़ूलों की
तू मेरी रक्षक वनमाली
मैं खुशियां तेरे अंतर्मन की
तू लहू मेरे यौवन की।।।
मैं स्वच्छंद समीर तेरी वादियों का
तू मनमोहक तस्वीर अनंत साग़र की
मै निर्मल नयन सुंदर छाया
तू अनमोल काया सम्पूर्ण जगत की।।।
मैं पगडंडी का एकमात्र राही
तू उस छोड़ की कुमकुम-रति
मैं मोर-सा क्रीडित-चंचल मन
तू स्थिर स्वर्णिम संगीत शिथिल-सी।।।
मैं कुसुम की कोमल पंखुरी
तू फलों की बगिया फूलों की फुलवारी
मैं अर्पित बालक तेरे हर उद्भव का
तू प्रकृति-माँ मेरी हर जनम की।।।-
मैं बादल कल के सावन का
तू मेरी चाँदनी बारहमासी
मैं पथिक भोर का प्यारा
तू साँझ-उषा की आँगन।।।
मैं निज मृग-सा मन
तू पतझड़ छाया-सी आँचल
मैं कण,रण में ओझल-सा
तू अजेय-विजयी पताखा।।।
मैं नदियों की कलकल
तू रिमझिम-सी हलचल
मैं शोर समंदर का
तू शीतल-मन अम्बर की।।।
मैं एक छोर आदि-अनंत का
तू रक्षक रवि-शशि सी
मैं अर्पित बालक तेरे हर उद्भव का
तू प्रकृति-माँ मेरी हर जनम की।।।-
मैं यायावर खुशियों की मटकी
तू नाचती गगन की सतरंगी
मैं एक घटा सावन की
तू मेघ सम्पूर्ण ग्रीष्म की!
मैं एक अनमोल मोती
तू अमिट धरा की श्रृंगारकरणी
मैं एक लौ दिये की
तू तमस-चीरती प्रकाशमयी रानी!
मैं अलौकिक मधुरभाषी
तू रंजित माधुरी बाँसुरी
मैं पहर दोपहर हर्षित गुँजन
तू कोकिलवाणी, गान निराली!
मैं मृगनयन तेरे आँखों का तारा
तू शीतल पूनम की अनोखी चाँदनी
मैं अर्पित बालक तेरा लाड़ला-दुलारा
तू प्रकृति माँ मेरे हर जन्म की जननी!-
मैं चमक ढलते सूरज का
तू मेरी चाँदनी चँद्र की
मैं लहर सागर का
तू पतवार मेरे जीवन की।।।
मैं शिथिल पर्वत
तू नींव मेरे अस्तित्व की
मैं मुसाफिर तेरे वादी का
तू राह मेरी ज़न्नत की।।।
मैं अबूझ पहेली
तू मेरी सुलझती कहानी
मैं अबोध बालक
तू मेरी प्रकृति माँ सी।।।
मैं आवाज खोया सा
तू उदघोष मेरे विजय की
मैं डूबता आवारा
तू मेरी तिनका,पावन नैय्या।।।-
मैं चमक शुभ्र नयन का
तू तेज शुचि अनंत की
मैं व्योम मध्याह्न का
तू रूपसी शाम शरद की
मैं अविरल घना बादल
तू सरित् सिंधु सागर
मैं तुंग शिखर की डोर
तू अर्णव लहरों की शोर
मैं शिशिर उत्स उमंग
तू बसन्त की कुसुम रंग
मैं धुन मोह मग्न अरण्य का
तू निर्मल नीरव रजनी अमावस की
मैं अरुण किरण अम्बर का
तू शीतल यामिनी पूर्णिमा की
मैं अर्पित तेरे हर उद्भव का बालक
तू प्रकृति माँ मेरी हर जनम की मैय्या-
मैं निश्छल निमित्त सा राही
तू सारे जहाँ की रत्नम-साथी
मैं उन्मुक्त पर्वत का वासी
तू अमिट अटल सबकी जननी।।।
मैं मिथक-मिथ्या चिरंजीवी
तू पुराणों की सजी-संजीवनी
मैं गर्जना एकदिन एकपल का
तू उदघोष सम्पूर्ण जीवन की।।।
मैं एक मिटता किनारा
तू अविरल सागर अनंत की
मैं एक कण दुलारा
तू ममता की अंतिम ढैय्या।।।
मैं एक तरण शीतल बूँद
तू हँसती फूलों की बगिया
मैं अर्पित तेरे हर मन का बालक
तू प्रकृति मेरे हर जन्म की मैय्या।।।-
मैं कोयल की कू
तू मेरी मीठी वाणी
मैं रौनक वसंत की
तू मेरी चमक प्रभात फेरी ।।।
मैं सुक्ष्म-सा सरल तेरा अंश
तू मेरी अमिट अन्न-दायिनी
मैं संध्या तेरे अपरिमेय अंतरतम का
तू नींद मेरी अगले सूरज की ।।।
मैं एक पहर सावन का
तू अमृत सम्पूर्ण ग्रीष्म की
मैं सेवक बन अर्पित तेरे वन का
तू बन रक्षक छाऊँ धूप की ।।।
मैं मँडराता आवारा बादल
तू मेरी सखी अनंत सफर की
मैं अर्पित तेरे हर उद्भव का
तू प्रकृति-माँ मेरी हर जन्म की ।।।-
मै तू
कप प्लेट,
पैन स्याही
इंजन ईंधन
मोबाइल चार्जर
गीत बोल
बल्ब बिजली
सोच प्रेरणा
.......-