QUOTES ON #मक्का

#मक्का quotes

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13 MAY 2021 AT 21:53

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28 JUL 2017 AT 12:06

चौराहे तिरंगे बेचती
अम्मा की लाठी हूँ

मेरा 'कलाम' सा मज़हब
मैं हिन्दुस्तान की माटी हूँ

(Read complete poetry in caption)

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17 JAN 2020 AT 14:47

कोई मक्का मदीने गया और
कोई हरिद्वार जाके घूम लिया
मैं भी किससे कम था साहब घर गया
और माँ के दोनों कदमो को चूम लिया

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12 APR 2017 AT 2:11

बचपन की मस्ती
बचपन की उधम-धाड़
वो कागज़ की कश्ती
बारिशों की फ़ुहार
वो गन्ने के रस की धार
घंटी बजा के भागना बार-बार
वो साइकिल....वो झूले
वो बगीचों की बहार
छत पर भाग कर चढ़ना
टीवी एन्टीना ऐंठना बारम्बार
स्कूल था मक्का-मदीना
स्कूल ही था कारागार
नकली ही सही पर खूब दौड़ती थी
अपनी भी बड़ी कार
साथ बैठकर खाता था
जब सारा परिवार
रूठता न था कोई
सभी थे मेरे संबंधी मेरे प्यारे यार
जाने कहाँ रह गया...वो बचपन
वो बचपन का भोला प्यार
- साकेत गर्ग

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11 JUL 2017 AT 12:16

सुनो, आज हज करवा दो
मीर की कोई ग़ज़ल पढ़वा दो

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21 MAY 2021 AT 9:48

किसी ने सच कहा है कि

जिस दिन आतंकवादी मक्का ओर मदीना पर हमला कर देगे
उस दिन मै समझ लूगा कि आतंकवाद का कोई धर्म नही होता

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19 DEC 2017 AT 14:00

मेरे दोस्त पर सब कुछ कुर्बान हैं
दोस्ती हमारी ना बटेगी मझहबों के जैसे कभी....
इस दोस्ती के लिए तो दिल में तिरंगें सा अभिमान हैं...

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30 NOV 2019 AT 9:32

दिल मेरा काशी है,
उसमे जो तू बसी है,
वो जगह मदीना हो जाता है
जिन राहों से तू गुज़र जाता है।

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31 MAY 2021 AT 19:36

खानी थी पीरों को, खुद के कटोरों में खीर
कटोरे आ गए मक्का से, दंग रह गए पीर

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19 DEC 2017 AT 13:54

मेरे दोस्त पर सबकुछ कुर्बान है,
उसकी दोस्ती ही मेरे लिए मजहब है,
और उसकी दोस्ती से ही मेरा ईमान है!!

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