दिल्ली में दलाल है,
वो भी तो किसी माँ का लाल है,
जो बन गया दिल्ली में दलाल है.
पढ़ा-लिखा, जानकार कमाल है.
जो बन गया दिल्ली में दलाल है.
बनके दोस्त, आस जीत लेता है,
फिर तो वो विश्वास जीत लेता है.
बातों से सब खरीद- बेच लेता है.
देकर झांसा, वह पैसे येठ लेता है.
उसके सामने सरकार क्या नेता है,
पैसों के लिए सब कुछ कर लेता है.
रुपये ही उसका धर्म और इमान है.
सच कहूँ तो वो बड़ा अजीब इंसान है.
-mkm
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