घड़ी वक़्त बताती हैं,
और वक़्त लोगों की पहचान।-
वो घड़ी जिसकी बैट्री मैं कल बदलुन्गा,
उसने पिछले एक साल से वक़्त को रोक रखा है !-
रुक सी गई है मेरी मोहब्बत वाली घड़ी की,धड़कने वाली सुई़...।
किसी कुर्ब़त के बाज़ार से लाकर,चाहत वाली बैटरी लगा दे...।
#यादों_की_कसक-
रुक सी गई है मेरी मोहब्बत वाली घड़ी की, धड़कने वाली सुई़...।
किसी कुर्ब़त के बाज़ार से लाकर, चाहत वाली बैटरी लगा दे...।
#यादों_की_कसक
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मैंने अपने हाथ की घड़ी का सेल निकालकर रख दिया
अब घड़ी उसी दिन चलेगी जिस दिन वक्त अपना होगा
फिर कहने में भी मजा आएगा कि वक्त अपना है-
समय पैसों से भी कीमती होता है क्योंकि आजकल लोग आपकी जरूरत पर पैसों से मदद कर देते हैं, पर वक़्त से नहीं।
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उसी घड़ी में रुक है हम, पर समय बढ़ चुका है अब
बातें बहुत है करने को, पर बात ख़त्म हो चुकी है अब-
बसर हो रही है ज़िन्दगी, मगर तन्हा तन्हा
था क़ाफ़िला संग, मगर वो भी तन्हा तन्हा
फिर सोचा वक्त को गले लगा लिया जाए
जब ग़ौर से देखा, घड़ी की सूईयाँ तन्हा तन्हा
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घड़ी की सुई को बार-बार,
मैं पीछे घुमता रहा.
वक़्त चलता रहा बेशक,
पर में दिल को बहलाता रहा.
बड़ा नाज़ुक है मेरा दिल,
ज़रा सी बात पर टूट जाता है,
ज़िक्र तेरा ना करू अपने नाम के साथ,
बच्चे की तरह मुझसे रूठ जाता है.
बड़ा मुश्किल होता है समझना,
जब वक़्त देकर अपना कोई भूल जाए.
मै बातों में अपने इस नादान,
से दिल को लगता रहा.-