तेरे जाने पर नहीं रोए जानाँ
इन आँखों का गंदा पानी अब कहीं तो निकले-
मैं गंगा नहीं नारी हूं
पाप तुम करते हो और मैली मुझे कर जाते हो ।।-
साफ रखने की कोशिश करनी पड़ती है
गंदा तो अपनेआप भी हो जाता है
और
जितना समय हमें साफ करने में लगता है
किसी को पलभर लगता है उसे खराब करने में
फिर वो चाहे
घर हो या मन
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आसुरी वृत्ति में लिप्त, भूखे भेड़िए दरिंदे हो।
स्वार्थी कपटी विकृत, दूषित विचार से गंदे हो।
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मेरा लिबाज़ गन्दा हो सकता है
पर मेरा किरदार नही,
तुम्हारा धंधा मुझसे बड़ा हो सकता है
पर तुम मुझसे बड़े खुद्दार नही...-
उसकी मोहब्बत में ,
खुद को में गंगा मानती थी
बेबफाइ का इलजाम लगा कर
बो मुझे गंदा कर गया
।।-
लोग कुछ ऐसे ही भरमाते हैं,
हर रोज नई शक्लें बनाते हैं .......
खुश रहें आपसे ,अगर चटाओ तो
माल बीता तो मुंह सुजाते हैं
मुफ्त बस इनको गर खिलाओ तो बेहतर है
यह तो बस माल मुफ्त का ही उड़ाते हैं
खुद तो कितने ही डूबे हो गंदे कीचड़ में
उंगली बस औरों पर उठाते हैं
यह नहीं जानते औरों की भलाई करना
इनकी आदत है बस रुलाते हैं
मैं नहीं पलता, किसी के टुकड़ों पर
हम तो अपना किया कमाते हैं-
हा... हा... साहब
बोहत गंदा है
बिना लागत और बगैर मेहनत से
और
औकात से ज्यादा हराम का कमाने का राजनिती यही सबसे बडा सरल धंदा है.-