मां तुम्हारे यहां खाना नहीं भाता...
(मेरे भाव अनुक्रमणिका में पढ़ें...)-
दिल से निकले आशीर्वाद से बड़ी कोई शक्ति नही
इस दुनिया मे माता-पिता की सेवा से बड़ी कोई भक्ति नही-
फुरसत अगर मिले तो मुझे पढ़ना जरूर,
नाकाम ज़िंदगी की पूरी किताब हूँ मैं।-
ज्ञान का सागर तुम
तुम से ही चले ये संसार सारा
तुम्हारे प्रकाश से ही है जग उजियारा
हर लेते तुम हम सब के दुखों को
कभी कष्ट ना आने दिया तुमने हमको
तुम्हारे आशीर्वाद से ही ये जीवन हमारा
तुम्हारे प्रकाश से ही है जग उजियारा
यूँ ही अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखना
यूँ ही अपना आशीर्वाद बनाये रखना
तुम से ही चले ये संसार सारा
तुम्हारे प्रकाश से ही है जग उजियारा🙏
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आशीर्वाद बड़ों का हो
तो हर रास्ता आसान हो जाता है
इनकी दुआओं के आगे
खुदा भी झुक जाता है।-
मेरी लिखी नज्म पर आप सभी की दुआ मिलती है,
इस अदाकारी से मेरी जिन्दगी पल-पल-खिलती है।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻-
यह बहुत ज़रूरी है,
जैसे हमारे नाम के बिना, हमारी कहानी अधूरी है
बड़ों का आशीर्वाद हो, तो सफल होना लाजमी है
जैसे बारिश के बाद, गुलों का खिलना जरूरी है।
बड़ों का आशीर्वाद हो, तो हर मुश्किल बेमानी है
जैसे पत्थर के नीचे भी,घास का उगना ज़रूरी है।-
माँ दुर्गा के नवम दिवस को "माँ सिद्धिदात्री" की उपासना की जाती है।
मेरे भक्तों! ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने के लिए जानी जाती है।
आज के दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ पूजा
साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।
सृष्टि में कुछ भी उसके लिए फिर अगम्य नहीं रह जाता है "अभि"
ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।
माँ सिद्धिदात्री को देवी "सरस्वती" का भी स्वरूप माना जाता है।
इच्छाओं की सिद्धि व पूर्ति करने के लिए माँ सिद्धिदात्री कहलाती हैं।
माँ सिद्धिदात्री की आराधना से अणिमा, लधिमा, प्राकाम्य, महिमा,
प्राप्ति, सर्वकामावसायिता, ईशित्व, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध
व अमरत्व भावना सिद्धि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है।
माँ को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा भोग लगता हैं।
नवरात्रि के शुभ नौवें दिन ही कन्याओं को बुलाकर कन्या पूजा किया जाता है।
माँ की अनुकंपा से ही भगवान शिव को"अर्धनारीश्वर" रूप प्राप्त हुआ था।
"सिद्धिदात्री" को प्रसन्न करने के लिए बैंगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
देवी दुर्गा के नौ रूपों में यह सिद्धिदात्री रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है।
माँ लक्ष्मी सदृश्य माता सिद्धिदात्री भी कमलासन पर विराजमान होती हैं।-
प्यार छोटों का,
अपनापन अपनों का
और दुलार दोस्तों का,
तो यकीनन नहीं है टक्कर
ऐसे अमीरों का।-