यार है दींन-ओ धर्म उस का !इश्क़ को जो खुदा मान ता है ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
यार है दींन-ओ धर्म उस का !इश्क़ को जो खुदा मान ता है ! “ दिल सफ़ीपुरी “
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यार मत कर मिरी जाँ सितम यूँ !ऐ सितमगर-ए जाँ मान भी जा !चाँद जो रूठ कर छुप गया है ।रूठना छोड़ अब मान भी जा ! रात थक हार कर बोल ही दी !तड़पना छोड़ अब मान भी जा !थाम कर साँस इज़हार यूँ कर !दिल कि तू आस अब मान भी जा !अब कहाँ आए गा चैन ‘दिल’ तुम को ! वो गया छोड़ अब मान भी जा ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
यार मत कर मिरी जाँ सितम यूँ !ऐ सितमगर-ए जाँ मान भी जा !चाँद जो रूठ कर छुप गया है ।रूठना छोड़ अब मान भी जा ! रात थक हार कर बोल ही दी !तड़पना छोड़ अब मान भी जा !थाम कर साँस इज़हार यूँ कर !दिल कि तू आस अब मान भी जा !अब कहाँ आए गा चैन ‘दिल’ तुम को ! वो गया छोड़ अब मान भी जा ! “ दिल सफ़ीपुरी “
ये जो अख़बार है झूट का है घड़ा !ख़बरें सच कोई इनमें है आती नहीं । “ दिल सफ़ीपुरी “ -
ये जो अख़बार है झूट का है घड़ा !ख़बरें सच कोई इनमें है आती नहीं । “ दिल सफ़ीपुरी “
मेरे अशआर करते बयाँ हैं उसे !एक फांस जो सीने में पेवस्त है ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
मेरे अशआर करते बयाँ हैं उसे !एक फांस जो सीने में पेवस्त है ! “ दिल सफ़ीपुरी “
क्या लिखूँ कुछ समझ में है आता नहीं !बाद तेरे मुझे कोई भाता नहीं !पढ़ना मुझ को नहीं कोई मुश्किल बड़ा !अहले शर के समझ में मैं आता नहीं !ना जहाँ पर हो इज़्ज़त तो सुन लो मियाँ !भूल कर भी जगह ऐसी जाता नहीं !तिशनो , भूँक से लड़ कर फ़ना हो गया !सर मगर मीर अपना झुकाता नहीं ! ऐब हैं “दिल” में लाखों चलो हाँ सही !दिल मगर मैं किसी का दुखाता नहीं ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
क्या लिखूँ कुछ समझ में है आता नहीं !बाद तेरे मुझे कोई भाता नहीं !पढ़ना मुझ को नहीं कोई मुश्किल बड़ा !अहले शर के समझ में मैं आता नहीं !ना जहाँ पर हो इज़्ज़त तो सुन लो मियाँ !भूल कर भी जगह ऐसी जाता नहीं !तिशनो , भूँक से लड़ कर फ़ना हो गया !सर मगर मीर अपना झुकाता नहीं ! ऐब हैं “दिल” में लाखों चलो हाँ सही !दिल मगर मैं किसी का दुखाता नहीं ! “ दिल सफ़ीपुरी “
आओ के अब तुम्हें मैं लगा लूँ गले !है ये रस्में ईद निभा लूँ गा मैं !तेरा दिल मेरे दिल से है मिलता नहीं !दो बदन आपस में मिला लूँ गा मैं !एक मुद्दत हुई तुझ से बिछड़े हुए !तू जो आए तो घर भी सज़ा लूँ गा मैं !सोचता हूँ के उस को पाने के बाद !सारे नख़रे भी उसके उठा लूँ गा मैं !कौन कहता है “दिल” तू अंधेरे में है ! है अँधेरा तो यादें जला लूँ गा मैं ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
आओ के अब तुम्हें मैं लगा लूँ गले !है ये रस्में ईद निभा लूँ गा मैं !तेरा दिल मेरे दिल से है मिलता नहीं !दो बदन आपस में मिला लूँ गा मैं !एक मुद्दत हुई तुझ से बिछड़े हुए !तू जो आए तो घर भी सज़ा लूँ गा मैं !सोचता हूँ के उस को पाने के बाद !सारे नख़रे भी उसके उठा लूँ गा मैं !कौन कहता है “दिल” तू अंधेरे में है ! है अँधेरा तो यादें जला लूँ गा मैं ! “ दिल सफ़ीपुरी “
छोड़ ने की वो बदन को कोशिशें सी कर रही है !यूँ हमारी रूह हम से ही बग़ावत कर रही है !उस कि यादों से कहो की अब परीशां ना करे वो !हाँ तिरी ही याद जीना मुसीबत कर रही है !हाँ जिसे मैं था किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यारा !हम सफ़र वो आज हम से ही अदावत कर रही है !मौत बर हक़ है कि आकर ही सुकूँ ले गी सनम ये !तो मिरी जाँ मौत भी इतनी मशक़्क़त कर रही है !दिल ज़रा क़ाबू रखो जज़्बात को उन की हदों तक !तेज़ धड़कन दिल कि उस की ही हिमायत कर रही है ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
छोड़ ने की वो बदन को कोशिशें सी कर रही है !यूँ हमारी रूह हम से ही बग़ावत कर रही है !उस कि यादों से कहो की अब परीशां ना करे वो !हाँ तिरी ही याद जीना मुसीबत कर रही है !हाँ जिसे मैं था किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यारा !हम सफ़र वो आज हम से ही अदावत कर रही है !मौत बर हक़ है कि आकर ही सुकूँ ले गी सनम ये !तो मिरी जाँ मौत भी इतनी मशक़्क़त कर रही है !दिल ज़रा क़ाबू रखो जज़्बात को उन की हदों तक !तेज़ धड़कन दिल कि उस की ही हिमायत कर रही है ! “ दिल सफ़ीपुरी “
इक दफ़ा जिसको नज़र में मैं गिरा लूँ यार मेरे !फ़र्क़ पड़ता ही नहीं हम को कहीं भी फिर जाये ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
इक दफ़ा जिसको नज़र में मैं गिरा लूँ यार मेरे !फ़र्क़ पड़ता ही नहीं हम को कहीं भी फिर जाये ! “ दिल सफ़ीपुरी “
तुमने भी क्या बना के बवाल रखा !अपने सीने में दर्द ये पाल रखा !आरज़ू में तेरी हो गया क्या से क्या ?जान को ख़ुद की मुश्किल में डाल रखा !जब भी आती हैं मुझ को रुला जाती हैं !उसने यादों में ऐसा कमाल रखा !किस तरह से गुज़री हैं राते ना पूछ ! फिर भी तुझ से ना कोई मलाल रखा !थी ये हसरत के कर दे मुझे लाजवाब !सोच कर फिर ये उसने सवाल रखा !पा के तू उसको “दिल “हो ना जाए फ़ना !रूठ कर जाँ ने जाँ का ख़याल रखा ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
तुमने भी क्या बना के बवाल रखा !अपने सीने में दर्द ये पाल रखा !आरज़ू में तेरी हो गया क्या से क्या ?जान को ख़ुद की मुश्किल में डाल रखा !जब भी आती हैं मुझ को रुला जाती हैं !उसने यादों में ऐसा कमाल रखा !किस तरह से गुज़री हैं राते ना पूछ ! फिर भी तुझ से ना कोई मलाल रखा !थी ये हसरत के कर दे मुझे लाजवाब !सोच कर फिर ये उसने सवाल रखा !पा के तू उसको “दिल “हो ना जाए फ़ना !रूठ कर जाँ ने जाँ का ख़याल रखा ! “ दिल सफ़ीपुरी “
हुस्न बिकता रहा सरे बाज़ार !इश्क़ रोता रहा सारी रात !ऐसी तनहाइयों से है बेहतर !दिल किसी से लगाया ना जाये !ज़ख़्म पे ज़ख़्म दे के वो पूछे !हाल क्या है तुम्हारा बताओ !बहती आँखो ने की है गुज़ारिश !यूँ किसी को रुलाया ना जाये ! है कहाँ हम से अब ये मुमकिम !भूल जाऊँ तेरी याद को !एक ऐसा हँसी ख़्वाब है तू !भूल कर भी भुलाया ना जाये ! सारे वादे क़समें हैं ज़ायाँ !आया मुश्किल भरा वक़्त जब है !है अपने जभी तक वो अपने !जब तलक आज़माया ना जाये ! रूह पर बोझ ले कर है फिरना !“दिल “ मुक़द्दर तुम्हारा यही ! है दुआ अब यही मेरी रब से ! यूँ किसी को सताया ना जाये ! “ दिल सफ़ीपुरी “ -
हुस्न बिकता रहा सरे बाज़ार !इश्क़ रोता रहा सारी रात !ऐसी तनहाइयों से है बेहतर !दिल किसी से लगाया ना जाये !ज़ख़्म पे ज़ख़्म दे के वो पूछे !हाल क्या है तुम्हारा बताओ !बहती आँखो ने की है गुज़ारिश !यूँ किसी को रुलाया ना जाये ! है कहाँ हम से अब ये मुमकिम !भूल जाऊँ तेरी याद को !एक ऐसा हँसी ख़्वाब है तू !भूल कर भी भुलाया ना जाये ! सारे वादे क़समें हैं ज़ायाँ !आया मुश्किल भरा वक़्त जब है !है अपने जभी तक वो अपने !जब तलक आज़माया ना जाये ! रूह पर बोझ ले कर है फिरना !“दिल “ मुक़द्दर तुम्हारा यही ! है दुआ अब यही मेरी रब से ! यूँ किसी को सताया ना जाये ! “ दिल सफ़ीपुरी “