Syed Amaan Haider  
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Joined 22 June 2017


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Joined 22 June 2017
9 AUG 2021 AT 19:30

यार है दींन-ओ धर्म उस का !

इश्क़ को जो खुदा मान ता है !


“ दिल सफ़ीपुरी “

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8 AUG 2021 AT 22:02

यार मत कर मिरी जाँ सितम यूँ !
ऐ सितमगर-ए जाँ मान भी जा !

चाँद जो रूठ कर छुप गया है ।
रूठना छोड़ अब मान भी जा !

रात थक हार कर बोल ही दी !
तड़पना छोड़ अब मान भी जा !

थाम कर साँस इज़हार यूँ कर !
दिल कि तू आस अब मान भी जा !

अब कहाँ आए गा चैन ‘दिल’ तुम को !
वो गया छोड़ अब मान भी जा !


“ दिल सफ़ीपुरी “

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23 APR 2020 AT 14:20

ये जो अख़बार है झूट का है घड़ा !

ख़बरें सच कोई इनमें है आती नहीं ।

“ दिल सफ़ीपुरी “

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19 APR 2020 AT 23:55

मेरे अशआर करते बयाँ हैं उसे !

एक फांस जो सीने में पेवस्त है !

“ दिल सफ़ीपुरी “

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16 OCT 2019 AT 19:33

क्या लिखूँ कुछ समझ में है आता नहीं !
बाद तेरे मुझे कोई भाता नहीं !

पढ़ना मुझ को नहीं कोई मुश्किल बड़ा !
अहले शर के समझ में मैं आता नहीं !

ना जहाँ पर हो इज़्ज़त तो सुन लो मियाँ !
भूल कर भी जगह ऐसी जाता नहीं !

तिशनो , भूँक से लड़ कर फ़ना हो गया !
सर मगर मीर अपना झुकाता नहीं !

ऐब हैं “दिल” में लाखों चलो हाँ सही !
दिल मगर मैं किसी का दुखाता नहीं !

“ दिल सफ़ीपुरी “

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5 JUN 2019 AT 0:26

आओ के अब तुम्हें मैं लगा लूँ गले !

है ये रस्में ईद निभा लूँ गा मैं !


तेरा दिल मेरे दिल से है मिलता नहीं !

दो बदन आपस में मिला लूँ गा मैं !


एक मुद्दत हुई तुझ से बिछड़े हुए !

तू जो आए तो घर भी सज़ा लूँ गा मैं !


सोचता हूँ के उस को पाने के बाद !

सारे नख़रे भी उसके उठा लूँ गा मैं !


कौन कहता है “दिल” तू अंधेरे में है !

है अँधेरा तो यादें जला लूँ गा मैं !


“ दिल सफ़ीपुरी “

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4 MAY 2019 AT 11:02

छोड़ ने की वो बदन को कोशिशें सी कर रही है !
यूँ हमारी रूह हम से ही बग़ावत कर रही है !

उस कि यादों से कहो की अब परीशां ना करे वो !
हाँ तिरी ही याद जीना मुसीबत कर रही है !

हाँ जिसे मैं था किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यारा !
हम सफ़र वो आज हम से ही अदावत कर रही है !

मौत बर हक़ है कि आकर ही सुकूँ ले गी सनम ये !
तो मिरी जाँ मौत भी इतनी मशक़्क़त कर रही है !

दिल ज़रा क़ाबू रखो जज़्बात को उन की हदों तक !
तेज़ धड़कन दिल कि उस की ही हिमायत कर रही है !


“ दिल सफ़ीपुरी “

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2 MAY 2019 AT 11:44

इक दफ़ा जिसको नज़र में मैं गिरा लूँ यार मेरे !

फ़र्क़ पड़ता ही नहीं हम को कहीं भी फिर जाये !


“ दिल सफ़ीपुरी “

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23 APR 2019 AT 23:24


तुमने भी क्या बना के बवाल रखा !
अपने सीने में दर्द ये पाल रखा !

आरज़ू में तेरी हो गया क्या से क्या ?
जान को ख़ुद की मुश्किल में डाल रखा !

जब भी आती हैं मुझ को रुला जाती हैं !
उसने यादों में ऐसा कमाल रखा !

किस तरह से गुज़री हैं राते ना पूछ !
फिर भी तुझ से ना कोई मलाल रखा !

थी ये हसरत के कर दे मुझे लाजवाब !
सोच कर फिर ये उसने सवाल रखा !

पा के तू उसको “दिल “हो ना जाए फ़ना !
रूठ कर जाँ ने जाँ का ख़याल रखा !


“ दिल सफ़ीपुरी “

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19 MAR 2019 AT 20:25

हुस्न बिकता रहा सरे बाज़ार !
इश्क़ रोता रहा सारी रात !
ऐसी तनहाइयों से है बेहतर !
दिल किसी से लगाया ना जाये !

ज़ख़्म पे ज़ख़्म दे के वो पूछे !
हाल क्या है तुम्हारा बताओ !
बहती आँखो ने की है गुज़ारिश !
यूँ किसी को रुलाया ना जाये !

है कहाँ हम से अब ये मुमकिम !
भूल जाऊँ तेरी याद को !
एक ऐसा हँसी ख़्वाब है तू !
भूल कर भी भुलाया ना जाये !

सारे वादे क़समें हैं ज़ायाँ !
आया मुश्किल भरा वक़्त जब है !
है अपने जभी तक वो अपने !
जब तलक आज़माया ना जाये !

रूह पर बोझ ले कर है फिरना !
“दिल “ मुक़द्दर तुम्हारा यही !
है दुआ अब यही मेरी रब से !
यूँ किसी को सताया ना जाये !

“ दिल सफ़ीपुरी “

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