तु जिसे चाहती है बस उसको पाने का नाटक करती है जिस्म के पैंतरे आजमाकर मर्द को अपने झांसे में होने का दावा करती है याद रख मगर हर मर्द जिस्म से चाहने वाला नहीं होता कुछ लोग सारी उम्र गुजार देते है एक शख्स को पाने के लिए
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अगर तसल्ली चाहिए थी तो पहले दिन बता देते आप से तुम और तुम से तू तक पहले दिन ही पहुंच जाते प्यार का नाटक भी तुमने हमे बड़ी ही वफ़ा और शिद्दत से किया वरना तेरे प्यार में हम यू ही थोड़ी न मर जाते
तेरी फितरत अक्सर पहले से ऐसी रही है प्यार किसी से और शादी किसी और से की है वादे किसी के साथ और निभाए किसी और के साथ जा रहे है वफ़ा किसी से और इश्क किसी और के साथ किए जा रही है और तो कितना गिरी होगी तुम के अब तुम्हे अपने ऐब भी नहीं दिखाए देते तेरी नजर और तेरी शर्म को दीमक दिन ब दिन खाए जा रही है गौर से देख अपने गिरेबान में झाक कर मोहतरमा तू खुद अपने आप को रोज़ अपनी ही नजरों से गिराए जा रही है
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सुनो वो जब पास आया तब झूठी ही सही पर सब कसमें तो खाई ही होगी सात जन्म तुम्हारी बन के रहूंगी ऐसी तसल्ली उसे भी तो दिलाई होगी किसी एक की हमेशा बन कर रहने का दावा करने वाली तू जब दोबारा उसका साथ दिया तो थोड़ी सी पर शर्म तो आई ही होगी न कर अपने इस सरफरोश इश्क ऊपर इतना गुरूर वो दिन दूर नहीं जब तेरे चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ तबाही होगी
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सुनो वो बाते सब अब उसको बताती हो क्या दिन में क्या क्या हुआ पूरी कहानी अब उसको सुनाती हो क्या जब रोना आए तो फिर उसके कंधे पर सर रख के सुकून से सो पाती हो क्या और जब कभी अपना खराब वक़्त याद आए और आंखों में से आंसू निकल आए तो वो आंसू उससे पूछवाती हो क्या वादे झूठे थे यादें झूठी थी बाते झूठी थी तुम्हारी यही सब अब उससे भी दोहराती हो क्या
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एक ख्याल है कि सुकून मिलता है उसके पास आने पर और एक हकीक़त ये है कि वो अब किसी और की है चाहत है मगर बदलती नहीं है मोहब्बत है आदत थोड़ी जो बार बार बदल देंगे
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मज़ाक है क्या किसी को मरते हुए बीच रास्ते में छोड़ देना मज़ाक है क्या किसी मासूम के दिल को यू बिलखते छोड़ देना मज़ाक है क्या जिसने तुम्हारे साथ दुनिया बसाने के वादे किए हो उसको बर्बाद कर देना मज़ाक है क्या किसी रोती हुई मा को दर्द में छोड़ देना मज़ाक है क्या खैर तुम्हें तो फर्क नहीं पड़ता पर किसी को जीते जी खत्म कर देना मज़ाक है क्या
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और लो अब वो दिन भी आही जाएगा जब शादी के जोड़े में सजी दुल्हन को बिस्तर पर सजाया जाएगा जिस्म की नुमाइश की जाएगी वो रोती बिलखती किसी और की बाहों में सिमट सी जाएगी खता तेरी भी होगी सजा मेरी भी होगी जब साथ रहने के वादों पर दीमक लग रही होगी जिसे तू अनजान है उसको सब कुछ दिखाया जाएगा और वो अपने हाथों से तेरे अनछुए बदन को सहलाएगा जीते जी मौत से मिली होगी आवाज तो नहीं आती पर रोती तो वो भी बहुत होगी जब अधर से अधर मिलाए जायेंगे किसी आशिक के ख्वाब उजाड़ दिए जाएंगे सिमटती होगी वो किसी और की बाहों में अब रूह एक बार ना सही बार बार उसकी भी कापी होगी हाथ से कंगन नाक से नथनी कान के झुमके उतर रहे होंगे और उधर किसी आशिक की मा के आंसु अपने लाल को आखरी बार देखने के लिए तरस रहे होंगे
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शर्म लिहाज़ और हया की बाते करते है बेवफ़ाई करने वाले आज कल सच्चे प्यार की बाते करते है कर के किसी की ज़िंदगी बर्बाद लोग अपना नया आशियां बनाए के लिए आशिक की राख का इस्तेमाल करते है भूल जाते है लोग के वक्त उनका भी ऐसा आएगा जिसे तूने इस्तेमाल किया था कल तुझे भी कोई और आजमाएगा तब न आना खुदा की दहलीज पर क्यों की खुदा भी तेरी बेवफ़ाई को देख कर मुकर जाएगा
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सुनो जो बाते कभी हमसे किया करती थी वही बाते अब उससे भी करती हो क्या प्यार इश्क मोहब्बत चाहत वही सब मक्कारी की बाते उससे भी करती हो क्या वो हो कहती थी कि मर जाऊंगी तेरी न हुई तो किसी और की नहीं हो पाऊंगी अगर सच में हम मर गए तो मुंह दिखाने भी कभी आओगी क्या जो झूठे वादे तुमने किए थे हमसेे किसी ज़माने में वही सब अब उससे भी क्या दोहराओ गी क्या कर के खत्म किसी मां के लाडले को अब किसी और के बेटे का घर फिर से बसाओगी क्या यही सिला है अगर ईश्क और प्यार करने का तो दुआ करेंगे कि यही सिला तुमको भी मिले राख बन कर उड़ जाएगा वो जिसके साथ तूने उसका मज़ाक उड़ाया था जब तेरे बेटे की राख मिल रही होगी इस फ़िज़ा में तब भी तू यू ही मुस्कुराएगी क्या क्या अब भी तू किसी एक से वफ़ा कर पाएगी क्या
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मेरे साहगिर्द मुझे ही सीखा ने चले आए जिस्म की नुमाइश करने वाले रूहानी चाहत की बाते करने चले आए जिसे कभी जीना सिखाया था हमने एक ज़माने में वो हमें अब बदनाम करने पर तुल आए मु तासिर न होते अगर मालूम होता की हाथ जल जाएंगे किसी की आग बुझाने में किसी एक शख्स के कहने पर हम अपनी पूरी दुनिया उजाड़ आए
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