Swapnil Tiwari   (Swapnil Tiwari)
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Poet, lyricist, script writer
Joined 31 March 2018


Poet, lyricist, script writer
Joined 31 March 2018
12 AUG 2019 AT 9:09

जिस्म मेरा है ठहरे पानी का
है मगर पैरहन रवानी का 
جسم میرا ہے ٹھہرے پانی کا
ہے مگر پیرہن روانی کا
तुम हो सूरजमुखी में बंद कहीं 
और मैं  क़ैदी हूँ रातरानी का 
تم ہو سورج مکھی میں بند کہیں
اور میں قیدی ہوں راترانی کا
नींद ! अब आ  थकन की राहों से  
रास्ता बंद है कहानी का 
نیند اب آ تھکن کی راہوں سے
راستہ بند ہے کہانی کا
ये मुहब्बत में तुम जो रोती हो 
ये ही झरना है जाविदानी का
یہ محبت میں تم جو روتی ہو
یہ ہی جھرنا ہے جاودانی کا
मेरे माशूक़ हो गए हैं गुम
हो बुरा दिल की बेकरानी का 
میرے معشوق ہو گئے ہیں گم
ہو برا دل کی بیکرانی کا

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4 MAY 2019 AT 15:21

नज़्म

कुछ शोख़ इशारों से
दरिया के किनारों से
इन चाँद सितारों से
कोई नज़्म नहीं बनती

कुछ शोख़ इशारे.. तुम
दरिया के किनारे तुम
ये चाँद सितारे...तुम
लो नज़्म हुई जानाँ

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20 MAR 2019 AT 20:07

इश्क़ की इक रंगीन सदा पर बरसे रंग
रंग हो मजनूँ और लैला पर बरसे रंग

कब तक चुनरी पर ही ज़ुल्म हों रंगों के
रंगरेज़ा ! तेरी भी क़बा पर बरसे रंग

खाब भरें तेरी आँखें मेरी आँखों में
एक घटा से एक घटा पर बरसे रंग

इक सतरंगी ख़ुशबू ओढ़ के निकले तू
इस बेरंग उदास हवा पर बरसे रंग

ऐ देवी तेरे रुख़सार पे रंग लगे
जोगी की अलमस्त जटा पर बरसे रंग

मेरे अनासिर ख़ाक न हों बस रंग बनें
और जंगल सहरा दरिया पर बरसे रंग

सूरज अपने पर झटके और सुब्ह उड़े
नींद नहाई इस दुनिया पर बरसे रंग

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19 MAR 2019 AT 20:39

Coffee cup reading ( नज़्म/نظم)

उसे मैसेज तो भेजा है
के कॉफ़ी पर मिलो मुझ से
वो आ जायेगी तो अच्छा
मैं पहले सिर्फ़ दो कॉफ़ी मँगाऊंगा
मैं कैपेचीनो पीता हूँ
वो कैसी कॉफ़ी पीती है
इसका अंदाज़ा तो उसके आने पर होगा…

हमारे पास तो बातें भी कम हैं
सो कॉफ़ी जल्द पी लेंगे।
जो उसके कप में थोडा झाग कॉफ़ी का बचा होगा
मैं उसकी शेप को पढ़ कर उसे फ्यूचर बताउँगा
बताऊँगा उसे मैं
कैसे वो मुझ जैसे इक लड़के की दुनिया को बदल देगी…
(उसे मालूम होगा क्या? के कॉफ़ी कप की रीडिंग का तरीक़ा ये नहीं होता ?)

मैं कैफ़े आ चुका हूँ...
...वो भी रस्ते में कहीं होगी
बहुत से लोग कैफ़े आ के पढ़ते लिखते रहते हैं
मुहम्मद अल्वी की नज़्में तो मैं भी साथ लाया हूँ
ये होगा तो नहीं फिर भी, वो आई ही नहीं तो फिर
इन्हीं लोगों के जैसे मैं भी पढ़ कर वक़्त काटूँगा।

उसे आने में देरी हो रही है
मैं इक कॉफ़ी तो तन्हा पी चुका हूँ
ज़रा सा झाग कप में है जिसे देखो तो लगता है
के इक लड़का अकेला बैठ कर कुछ पढ़ रहा है।

तसल्ली दे रहा हूँ अब मैं ख़ुद को
ये मेरी शाम का फ्यूचर नहीं है
... के कॉफ़ी कप की रीडिंग का तरीक़ा ये नहीं होता…

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2 FEB 2019 AT 17:21

होता ही नहीं चाँद का टैटू नज़रअंदाज़
हम जाती हुई शब की कमर देख रहे हैं

ہوتا ہی نہیں چاند کا ٹیٹو نظرانداز
ہم جاتی ہوئی شب کی کمر دیکھ رہے ہیں

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31 DEC 2018 AT 18:50

[HAPPY NEW YEAR]

और कम याद आओगी अगले बरस तुम
अब के कम याद आई हो पिछले बरस से
اور کم یاد آوگی اگلے برس تم
اب کہ کم یاد آئی ہو پچھلے برس سے
शब ! तुझे ही चाँद का नश्शा मुबारक
अपना जी तो भर चुका है इस चरस से
شب ! تجھے ہی چاند کا نشہ مبارک
اپنا جی تو بھر چکا ہے اس چرس سے

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17 JUN 2018 AT 20:12

जैसे मेरे दुःख हैं सब मिट्टी के दुख
जलपरी के दुःख भी हैं पानी के दुख
جیسے میرے دُکھ ہیں سب مٹّی کے دُکھ
جلپری کے دُکھ بھی ہیں پانی کے دُکھ
रौशनी तो दुःख है मुझ जुगनू का और
दुनिया भर के रंग मुझ तितली के दुःख
روشنی تو دُکھ ہے مجھ جگنو کا اور
دنیا بھر کے رنگ مجھ تتلی کے دُکھ
सारे पर्वत दुःख हैं इक कछुए के और
सारे दरिया हैं किसी मछली के दुःख
سارے پربت دُکھ ہیں اک کچھوے کے اور
سارے دریا ہیں کسی مچھلی کے دُکھ
धीरे धीरे उँगलियों में आ गए
हँसती गाती एक कठपुतली के दुःख
دھیرے دھیرے انگلیوں میں آ گئے
ہنستی گاتی ایک کٹھ پُتلی کے دُکھ
दिल तेरी नगरी है दुखदाई बहुत
कितने प्यारे हैं तिरी नगरी के दुःख
دل تری نگری ہے دُکھ دائی بہت
کتنے پیارے ہیں تری نگری کے دُکھ
हम समंदर से ख़जाने लायेंगे
यानी इक डूबी हुई कश्ती के दुख
ہم سمندر سے خزانے لائینگے
یعنی اک ڈوبی ہوئی کشتی کے دُکھ

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15 JUN 2018 AT 11:07

मज़ाक़ सहना नहीं है हंसी नहीं करनी
उदास रहने में कोई कमी नहीं करनी
مذاق سہنا نہیں ہے ہنسی نہیں کرنی
اُداس رہنے میں کوئی کمی نہیں کرنی
गुनाहे इश्क़ रिहा होते ही करेंगे फिर
गवाह बनना नहीं मुख़बिरी नहीं करनी
گناہ عشق رہا ہوتے ہی کرینگے پھر
گواہ بننا نہیں مخبری نہیں کرنی
ये ज़िन्दगी जो पुकारे तो शक सा होता है
कहीं अभी तो मुझे ख़ुदकुशी नहीं करनी
یہ زندگی جو پکارے تو شک سا ہوتا ہے
کہیں ابھی تو مجھے خودکشی نہیں کرنی
बड़े ही ग़ुस्से में ये कह के उसने वस्ल किया
मुझे तो तुम से कोई बात ही नहीं करनी
بڑے ہی غصّے میں یہ کہ کے اُس نے وصل کیا
مجھے تو تُم سے کوئی بات ہی نہیں کرنی

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24 OCT 2020 AT 12:08

तुम्हारी सिम्त से किसने अभी पुकारा मुझे
तुम्हीं थे गर तो पुकारो ज़रा दुबारा मुझे
تمہاری سمت سے کس نے ابھی پکارا مجھے
تمہیں تھے گر تو پکارو ذرا دوبارہ مجھے
न जाने कौन सी ख़्वाहिश अधूरी है इसकी
मैं टूटता हूं तो तकता है ये सितारा मुझे
نہ جانے کون سی خواہش ادھوری ہے اس کی
میں ٹوٹتا ہوں تو تکتا ہے یہ ستارہ مجھے
ये और बात हमारे मआनी एक हैं पर
उसे बनाया गया लफ़्ज़ और इशारा मुझे
یہ اور بات ہمارے معانی ایک ہیں پر
اسے بنایا گیا لفظ اور اشارہ مجھے

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8 JUN 2020 AT 10:51

दिल नहीं लगता क़ैद-ए-इश्क़ में यार
तुम जो करते मदद तो होते फ़रार

रात कटती नहीं है इससे अब
तेज़ करनी पड़ेगी चांद की धार

तुमको सोचा तो कुछ न याद आया
टेक लेते ही गिर गयी दीवार

घर में मिलते नहीं हैं हज़रते-दिल
अब बड़े हो चुके हैं बरख़ुरदार

हाँ नहीं ढूँढ़ता नहीं में मैं
यार महफूज़ है तिरा इनकार

रायगां कर न यूँ हँसी अपनी
इस उदासी में मुझको फूल न मार

अपना साया बनाएंगे उससे
करने निकले हैं तेरी धूप शिकार

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