स्वतन्त्र यादव   (स्वतन्त्र यादव)
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🙏महादेव सर्वोपरि महादेव श्रेष्ठ 🙏
Joined 23 December 2020


🙏महादेव सर्वोपरि महादेव श्रेष्ठ 🙏
Joined 23 December 2020

मेरे बस में हो तो,
कुदरत का लिखा हुआ काटता।
तेरे हिस्से में आए बुरे दिन,
कोई दूसरा काटता।

लोरियों से ज्यादा बहाव था,
तेरे हर इक लफ्ज़ में..
मैं इशारा नहीं काट सकता,
तेरी बात क्या काटता..!

संभल कर चलने का,
सारा गुरूर मेरा टूट गया।
वैसे मैं तो ये था के मैं,
कम से कम कुछ नया काटता।

कोई ऐसी बात अगर हुई कि,
जो तुम्हारे जी को बुरी लगी।
समझा लेना दिल को क्योंकि,
अब मैं किसी का नहीं काटता।

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ये इंच मुस्कान अमर रहे, सन्तापों के बीच भी
हौंसले ए उमंग लबरेज़ हो, हर ढलती "सांझ" भी



नये स्वरों की अनुगूँज हो, हर दोहराव के मध्य भी
चमकते सूर्य की धनक रहे, बंद पुतलियों के बीच भी

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मैं स्वतंत्र....
अपनी कहानी खुद लिखने,
तैरे पानी मे तृण ऐसा हूं
किया गंगा को भागीरथी ,
मैं भगीरथ में प्रण जैसा हूं
कर्जदार बस धरा का अपने,
कर्जरहित मैं रिश्तों का हूं
हां मैं स्वतंत्र हूं अपने मन से
बाकी ऐसे का मैं ऐसा हूं
किया गंगा को भागीरथी,
मैं भगीरथ में प्रण जैसा हूं!!

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खडे पिछवाड़े का मुर्गा
बैठे पिछवाड़े का मुर्गा — % &मुर्गे का जिगरी यार — % &मुर्गे का ब्याह — % &मुर्गे की बीवी फरार— % &मुर्गे की क्रान्ति — % &धनतेरस से भाई दूज तक चलने वाले पावन पर्व दीपावली त्यौहार की आपको,आपके पूरे परिवार और प्रियजनों को मेरी ओर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। ये दीपावली आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ, सुख शांति, धन-धान्य, यश कीर्ती, आरोग्य एवं समृद्धि लाये इस पुण्य दिवस के मौके पर आप सदैव खुश रहें एवं खुशियों का असीमित भंडार सदैव भरा रहे🙏🙏
शुभकामनाओं के साथ ..
स्वतन्त्र यादव— % &

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जेल में डाल दो,चाहे तो बाल काटने पर गोलियां मार दो
मरने पर भी मेरी रूह यही कहे,बस ये हिजाब उतार दो

बेशर्मी कपड़ों से नहीं होती, होती तो तवायफें भी हैं हिजाब में
में क्या हूं कौन हूं मेरी पहचान को हिजाब नहीं स्वतन्त्र आधार दो

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नियंत्रण रेखा पार कर गया है तुझे तेरा यूं महंगें रिसार्ट शिफ्ट करना
क्यों ना अब द्विपक्षीय वार्ता कर ,गोलमेज सम्मेलन करा लें
बस एक तुम समर्थन कर दो मेरे दावेदारी का
आओ ख़रीद फरोख्त कर मिलीजुली सरकार बना लें।

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इस बार तेरे इश्क़ की
बेखुदी छा रही है
मैं महका कुछ ऐसे आज
जैसे बारिश बस मेरे लिए
....आ रही है
थी कोशिश मैं लिखूँ
बस बारिश पर
पर हर बूंद जाने क्यों तेरी
ही याद बरसा रही है!!

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कुछ ख़ुशियां कुछ आंसू दे कर टाल गया
जीवन का इक और सुनहरा साल गया

ये यूं तो इक रस्म-ए-जहां है जो अदा होती है
वरना सूरज की कहां सालगिरह होती है

हसीन चेहरे की ताबिंदगी मुबारक हो
तुझे ये जन्मदिन की ख़ुशी मुबारक हो

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तस्वीरों में तो हर कोई मुस्कुराता है,
स्वतंत्र तो हंसता है हकीक़त में हरदम।

आपकी मोहब्बतों ने कर दिया मगर,
मेरी इन मुस्कुराती आंखों को भी नम।

मिला दोस्तों का ऐसा कारवां मुझको,
जो बांट लेते हैं मेरे, खुशी और गम।

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कभी गालों पर तो कभी आंखों पर
अब मैं होश सम्हालूं या
उसकी जुल्फ़ें

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