नया नया कुछ लिखना है
बस तुम पर आ टिकना है।
तुम्हें बना अपनी मंजिल
बस तुम्हीं पर मरना मिटना है।।
तेरी आंखें जैसी वो तेज धार
तेरी बातें करे दिल पे खूब वार।
हर दम ये दिल रहता है तैयार
कब हो तुमसे ये नैना चार।।-
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मैं तो चाहता हूं कि वो खूब तरक्की करे,
चाह कर भी अब कोई उसकी मदद नहीं कर पाऊंगा मैं।
मैं तो चाहता हूं कि वो मुझे भूल जाए,
नहीं भूली फिर भी उसे भूल जाऊंगा मैं।।-
जब कोई साथ न दे तुम्हारा और
तुम टूट जाना अंदर से
तब हमें पुकारना तुम,
हम तुम्हें बनाएंगे फिर से।।
जब सारा जहां तुम्हें रुला रहा हो
दुत्कार रहा हो, और खुद ठहाके लगा रहा हो
तब हमें पुकारना तुम,
खुद रोते हुए आयेंगे और तुम्हें हसाएंगे।।
जब कोई बात अंदर से खाए जा रही हो
तुम्हें दिल से हसीं न आ रही हो, तुम रो भी न पा रही हो
तब हमें पुकारना तुम,
दिल खोल कर हंसा देंगे जैसे कुछ हुआ ही न हो।।-
इन तेज हवाओं में
मैं बस तुम्हें सुनना चाहता हूं।
हर एक याद में
मैं बस तुझे बुनना चाहता हूं ।
इस चमकते चांद में
तेरी सूरत देखना चाहता हूं।
इस जन्म क्या, हर जन्म में
मैं तुझे अपनी दुल्हन देखना चाहता हूं।-
सुनो, खुले आसमां में ये तारे ऐसे टिमटिमा रहे हैं
जैसे तेरी आंखें,
ये हवा की सरसराहट बता रही है जैसे उड़ती है तेरी जुल्फें।
तू महसूस हो रही है जैसे यही कहीं हो,
क्योंकि मुझे सुनाई दे रही है तेरी सांसे।।-
जितना ख्याल मुझे तेरा है
अगर इतना मुझे अपना होता
तो आज मैं कितना होता।।-
उससे मिले और रो दिए हम
शायद अरसे बाद किसी ने हाल पूछा था मेरा।
उसने तो बस इतना कहा था
कि कैसे हो,
बस शायद किसी अपने ने ऐसा कहा था।-
मन अशांत है मेरा
बहुत कुछ है कहने को
अगर तुम्हे वक्त मिले तो
हाल पूछ सकते हो मेरा।।-
अगर बैठ पाता तुम्हारे साथ फिर से
तो शायद इश्क जाहिर कर पाऊं मैं,
क्यूंकि अब वो बात रही नहीं मेरी शायरी में।।-
उसकी हर एक बात से मुखातिब मैं
और मेरी हर एक बात से वो
अगर बाकी है तो बस दिल में छुपे जज़्बात।।
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