दीन कहे धनवान सुखी,
धनवान कहे राजा को सुख भारी।
राजा कहे महाराजा सुखी,
महाराजा कहें इन्द्र को सुख भारी।
इन्द्र कहे ब्रह्मा सुखी,
ब्रह्मा कहें सुख विष्णु को भारी।
तुलसीदास कहें विचारी,
बिनु हरि भजन सब जीव दुखारी।

- सुधीर के बोल