खोने का डर ही तो है जो
हमें खुद से मिलने नहीं देता
ख़ुद तक पहुँचने नहीं देता
वरना सच तो ये है कि
सबसे गहरा सुकून
हमारे ही दिल में रहता है
और दिल की तन्हाई में ही
सबसे सच्चा साथी
खुद अपना दिल ही होता है।-
तेरे होंठों की इन हंसी में कोई जादू सा असर है
एक झलक पाकर इसकी हर ग़म दिल से उतरता है-
बात-बात पर शक करना, तौहीन है मोहब्बत की
भरोसा ही तो है दिलों की,सबसे हसीन इबादत भी।
शक से रिश्ते मर जाते हैं, रह जाती है बस उलझन
टूट जाती है दिवारे भरोसे की,शक की आग में हरदम।
वो मासूम मोहब्बत मुरझाती है,जब हर सवाल तीर सा चुभता है
हर जवाब अधूरा रह जाता है,हर लफ्ज़ अजनबी हो जाते हैं।
शक जब दिल में घर बना ले,वो वही बसकर रह जाता है
तब ख़ुद पर हसती है ये मोहब्बत,और हर दिन जल-जल मर जाती है।-
सच्चा प्रेम वो एहसास है
जो बिना शब्दों के भी,
सब कुछ कह जाता है।
सच्चा प्रेम वो नहीं जो,
दुनिया को दिखाया जाए,
वो है जो हर मुश्किल में
साथ निभाया जाए।
सच्चे प्रेम में बेवफ़ाई
नहीं होती,वफ़ा से,
निभाया गया सच्चा प्रेम
उम्रभर की दुआ बन जाती है ।
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जिसकी यादें मेरे रूह में जिति चली जाए
ऐसी बात है मेरे इश्क़ में कि बका हो जाए-
ख़ुशी चेहरे पर दिखाना भी अब गुनाह लगता है
दर्द से पीछा छुड़ाने को चाहा और मुस्कान को,
हमने गले लगाया, मगर लोगों ने सवाल किए।
सुकून के साथ वक़्त बिताया तो इन्ही लोगों ने ताना दिया
कहीं फिर से ना कोई अपना पराया कर दे।
हमने ख्वाहिश की थी चंद लम्हों की राहत की,
मगर उन्हें भी लोगों ने फ़िजूल कह दिया।
हँसना भी हुआ गुनाह हमारा,अब ख़ुशी भी,
सोचकर आती है कि कहीं इस बार भी,
सज़ा न लिखी हो उसके पीछे।-
Father's Day पर आप साथ नहीं हैं
पर हर ख़ुशी और हर आँसू में आपकी कमी महसूस होती है।
पापा, आपकी गोद अब सिर्फ यादों में है,
लेकिन वही यादें मुझे आज भी जीना सिखाती हैं।
आप चले गए, पर मेरी दुनिया में आज भी आपका नाम धड़कता है।
मैं आपकी प्यारी बेटी थी ,हूं और हमेशा रहूंगी,
आपके बिना अधूरी, लेकिन आपकी यादों से भरी हुई।
मैंने पापा से सीखा है कि हालात चाहे जैसे भी हों,
मुस्कुराना नहीं छोड़ना चाहिए।
मैंने उनसे ही ज़िंदगी को समझना सीखा है ,
जो वक्त के साथ समझ आई।-
हर तरफ़ तू ही तू अंधेरे में तू उजाले में भी तू
तू दूर है फिर भी हर कोने में तेरा ही नाम लिखा है
बिछड़ कर भी जो एहसास जिंदा रहे वो इश्क़
शायद जुदाई से भी गहरा होता है ,
जैसे साँसें चल रही हैं पर ज़िंदगी कहीं खो गई है
वो लम्हे अब भी साँसों में ज़िंदा हैं जो तेरे साथ
गुज़रे थे कभी चुपचाप…..
मैंने दिल को अपने समझा लिया है बग़ैर तेरे जीने को,
अब ये जुदाई भी इश्क़ लगती है यारा,
मना रही हूँ इन आँखो कि शिकायत को तुझे मुआफ़ करने को।-