जल जाने दूं उसको या रख लूँ कहीं संभाल कर परतों में रख लूँ उनको या ओढ़ बिछा लूँ उनको उलझा लूँ मैं कल और आज या कल की ख़ातिर आज लिखूँ पन्ने कल की बात कहें या कल के सपने और बुनें जो बीत चुका उसको भी रखना है मुझको बिन उलझे उनसे आगे भी बाद जाना है मुझको।
जल जाने दूं उसको या रख लूँ कहीं संभाल कर परतों में रख लूँ उनको या ओढ़ बिछा लूँ उनको उलझा लूँ मैं कल और आज या कल की ख़ातिर आज लिखूँ पन्ने कल की बात कहें या कल के सपने और बुनें जो बीत चुका उसको भी रखना है मुझको बिन उलझे उनसे आगे भी बाद जाना है मुझको।