सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ...वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली... - क@वि
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ...वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली...
- क@वि