Sonu Kumar Saxena   (Sonu Sarthak)
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Simple living High thinking
Joined 25 July 2019


Simple living High thinking
Joined 25 July 2019
25 APR AT 20:10

मैं समय...

हां...मैं समय हूं
मैं याद मैं पल मैं उम्मीद मैं कल
मैं न्याय मैं काल मैं युद्ध मैं मौसम
मैं समय हूं
मैं अमर अजर अभियंता हूं
मैं ही शुरुआत हूं
मैं ही भ्रम हूं
मैं जीवन तेरा मैं विश्वास तेरा
मैं आनंद में, मैं चिंतन में,
मैं दुख में, मैं दर्द और चुभन में,
मैं शोक में, मैं शौक में,
मैं मौकों में, मैं धोखो में,
मैं समय हूं,
मैं मित्रता में, मैं नकली रिश्तों में,
मैं उत्थान में, मैं पतन में,
मैं विजय हूं मैं अजय हूं
मैं क्रोध में भी, मैं बोध में भी,
मैं धर्म जाति में, मैं घाती में
मैं ... मैं समय हूं, निरंतर हूं, कालांतर हूं।

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25 APR AT 20:05

मैं मृत्यु हूं...

हां मैं मृत्यु हूं....मैं जीवन सत्य हूं
मैं कर्ता कर्म में निशब्द अघोरी सी
मैं शरीर का अंतिम गंतव्य हूं
मैं जीवन का मूल्य दर्शाती हूं
मैं पारदर्शिता को परिभाषित करती हूं
और कड़वा घूंट पिलाती हूं
क्योंकि ...मैं मृत्यु हूं...
मेरा कोई आकार नहीं हैं
मुझे किसी से सरोकार नहीं है
मैं सत्य में विशेष महत्व रखती हूं
मैं असत्य का नाश करती हूं
मैं तपती किरणों जैसी विस्मय हूं
पहचान मुझे मैं ही तो समय हूं
मैं हां मैं मृत्यु हूं....मैं कोई स्वपन नहीं
मैं कोई उलझन नहीं....ना ही मैं बोध हूं
मैं तो गति हूं जो यात्रा को पूर्ण कराती हूं
मैं तेरी ही मति हूं जो तेरे गुण,
अवगुण बताती हूं....मैं मृत्यु हूं... मैं समय हूं

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25 APR AT 19:58

इच्छा...

इच्छा ही है जो हमेशा उत्तेजित रहती है
ये इच्छा हमारे रगो में लालसा लिए बहती है
ये इच्छा ही है जो मनमोहक दर्श कराती है
हां ये इच्छा मन के मोह बन ललचाती है
जब मानव समझने लायक होने लगता है
इच्छा के बीज का सहायक होने लगता है
इच्छा तो हमें हर विषय में तर लेती है
इच्छा अपना काम बड़ी आसानी से कर लेती है
इच्छा ही और को और बढ़ाती है
इच्छा घात लगाए रिश्तों को लड़ाती है
इच्छा हर युग में लड़ाई झगड़ों में
वाद विवादों में हर कलह में
इच्छा तो भूख की हर सुलह में
इच्छा मन के दरवाजे पर
जब जब खट खटखटाती है
तब तब इच्छा सीधे रास्तों पर

भ्रम के चौराहे बनाती है
इच्छा ही वर्तमान है भूत है भविष्य है
इच्छा सागर जैसे गहरे पानी जैसी मृदुल है
इच्छा का भवसागर उम्र के
हर दौर का आलेखन है
इच्छा तो काल्पनिकता का जीवित दर्पण है
जब तक जीवन है तब तब इच्छा है
जब तक भ्रम है तब तब इच्छा है।

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22 APR AT 8:12

आज...

मुझे हिंदू पसंद नहीं
मुझे मुसलमान पसंद नहीं
मुझे बस इंसान पसंद है

मुझे जरा ज़रा सी बातों पर
बवाल पसंद नहीं
मुझे प्रेम पर हर एक सवाल पसंद है

मुझे अलग थलग पसंद नहीं
मुझे बाकी तो सब पसंद है

मुझे धर्म जात पर फसाद पसंद नहीं
मुझे मुझ से शुरु विवाद पसंद नहीं
मुझे बस सबमें घुलता आज पसंद है

मुझे बटवारा पसंद नहीं मुझे रिश्तों में हनन खनन पसंद नहीं
मुझे एक दूसरे में लगाव पसंद है

मुझे हर त्यौहार पर खुशियों भरा शोर पसंद है
मुझे हर मन की दीवारों पर अमन प्रेम के लिखे गीत पसंद है
बस मुझे गंदे झूठे मक्कार पसंद नहीं
मुझे प्यार से बने इकरार और तकरार पसंद है।

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21 APR AT 21:09

गुनाह हूं

शायद ख्वाहिशों में
मैं आदतों की पनाह हूं
मैं पैसा हूं इसलिए
इच्छाओं के लिए गुनाह हूं
मैं सब्र पर भी
आशाओं को जलाता हूं
और बेसब्री पर हर बार
अटपटे खेल दिखाता हूं
मैं जीने का भ्रम हूं
इस लिए सताता हूं
शायद ख्वाहिशों में
मैं तरकीबों की अगाह हूं
मैं पैसा हूं इसलिए
परिणामों में गुनाह हूं...

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21 APR AT 18:24

जरूरत पड़ने पर जब अपना ही साथ छोड़ जाए,
तो ये मन अपनी व्यथा अकेलेपन को सुनाए,
जब एहसास अपनों में इतर जाए
फिर झूठे रिश्तों की महक झूठा इत्र बन जाए

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20 APR AT 7:15

कहानी...

कहानी कभी खत्म नहीं होती है
जीवन के आरंभ से अंत तक
निरंतर बनी रहती है
कहानी गढ़ते रिश्तों का
गहरा समंदर बनती है
कहानी कभी एहसासों की लहरों में
बहती नदी बनती है
कहानी कभी उम्मीदों का गहरा सा
सागर बनती है
कहानी कभी कभी उम्र बनकर
खुद को सुनाती है,
कहानी शुरू से ही सफर को लुभाती है
कहानी गुप चुप में भी हर बात बताती है।

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11 APR AT 6:43

मेरी ईद

खूबसूरत वक़्त की नमाज़ सी मेरी ईद,
महकते गुलाब के महताब सी मेरी ईद,
रिश्तों में मिठास से लबरेज़,
चाहतों में रिवाज सी मेरी ईद,

अम्मा की दुआ बन प्यार का साज सी मेरी ईद,
अब्बा के दुलार से सजे खुमार सी मेरी ईद,
मेरे भाईओं में प्यार सा बुखार सी मेरी ईद,
मेरे दोस्तों में चमकता एहसास सी मेरी ईद,
मेरे पड़ोस में खासमखास सी मेरी ईद,

मेरे नए सफेद कुर्ते पाजामे में,
मेरे खुशी के हर एक रवाने में,
मेरी नई पोशाक सी मेरी ईद,

मेरे अल्लाह के उसूलों में,
मेरे परवरदिगार बन रसूलों में,
सच्चे पाक मुसलमान के मुकाम सी मेरी ईद,

मेरे हिन्दू भाई में रिश्तों से सजी,
मेरे त्यौहार में सभी धर्मों के प्यारे फ़रिश्तों में खुशी सी मेरी ईद,

मेरा कोई दुश्मन नहीं,
मुझे मेरे देश से प्यार और सौहार्द सी मेरी ईद।

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2 APR AT 6:42

दर्द सफ़र...

दर्द के साथ तो नाता पुराना है
कहीं हंसी में दर्द छुपा होता है
कहीं खुशी में दर्द छुपा होता है
जैसे जैसे लम्हें बीतते जाते हैं
वैसे वैसे दर्द भी जमा होता है
ना जानें कितनी शिकायतों में दर्द
कराहता है बदहवास हो जाता है
और ना जानें कितनी उम्मीदों से
जुड़ सा जाता है
दर्द ही तो है जो सिहरन बनकर
जीवन से अवगत कराता है
और छुप छुप कर मन के आईने को
देखकर मुस्कुराता है
ये दर्द जितना पुराना होता जाता है
उतना ही तड़पाता जाता है
और जरूरतों भरी महफिलों में
सब कुछ खाली कर जाता है
यकीन कीजिए ये दर्द कभी
दवा भी बनता है, कभी दुआ भी बनता है
कभी कभी बददुआओ में भी
झलक दिखाता है ये दर्द जब जब अनगिनत रिश्तों में इतराता है तब तब दर्द खुद से घबराता है ये दर्द जब जब आंसुओं के सैलाब में उतरता है तब तब दर्द बड़ी मुश्किल से संभलता है

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28 MAR AT 21:38

मैं पैसा हूं इच्छाओं में रहता हूं, मैं पैसा हूं ख्वाहिशों में बहता हूं, मैं पैसा हूं व्यापार में बनता हूं, मैं पैसा हूं सपनों को छलता हूं
मैं पैसा हूं रिश्तों को बनाता हूं, मैं पैसा हूं खुद से दूर कराता हूं,मैं पैसा हूं उम्मीदों को जगाता हूं, मैं पैसा हूं नींद को भी भगाता हूं
मैं पैसा हूं मन की कम सुनता हूं
मैं पैसा हूं तन की ज्यादा सुनता हूं
मैं पैसा हूं हर दिन मुलाकात करता हूं
मैं पैसा हूं मैं इच्छाओं के साथ मरता हूं
मैं पैसा हूं मुझे आवेश में रहना है
मैं पैसा हूं मुझे रोज कलेश को सहना है
मैं पैसा हूं जरूरतों को फैलाता हूं
मैं पैसा हूं इसलिए रोज बुलाता हूं
मैं पैसा हूं दोस्त हूं दुश्मन हूं,मैं पैसा हूं मैं रिश्तों की अनबन हूं, मैं पैसा हूं लालच मक्कारी भुनाता हूं,मैं पैसा हूं तुझको इशारों पर चलाता हूं, मैं पैसा हूं कभी दर्द बनाता हूं
मैं पैसा हूं कभी गम भुलाता हूं
मैं पैसा हूं राजा बन ऐंठ में रहता हूं
मैं पैसा हूं धूर्त बन ख्वाहिशों में बैठा हूं
मैं पैसा हूं औकात बनाता हूं, मैं पैसा हूं तुझे जब तब नचाता हूं, मैं पैसा हूं मैंने शौक बनाए हैं, मैं पैसा हूं मैंने शोक दिखाए हैं, मैं पैसा हूं कम ना आंका कर,मैं पैसा हूं कभी गरेबां में झांका कर,मैं पैसा हूं मैं रोज कीमत बताता हूं
मैं पैसा हूं मैं तेरी कीमत लगाता हूं
मैं पैसा हूं ऐसे ही सदा बना रहूंगा
मैं पैसा हूं जीने की सज़ा देता रहूंगा

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