सोच रही हूँ भांग पीकर कल सारे झगड़े निपटा लूं
ये रोज़ रोज़ की नोंक- झोंक में आखिर रखा क्या है
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कि तामीर मेरी शख़्सियत की.. मुख़्तलिफ़ सी है..!!
I like peo... read more
टेड्डी के चक्कर में क्यूँ पड़ना बाबू शोना
रोज़ प्यार से मुझे तुम ही गले मिले ना 😁-
Modern मुरकियाँ
एक पल हाथ नाहिं छोड़त
किसी और को देखन नहिं देत
शाम सवेरा उसी के संग हेत
ऐ सखि साजन? ना सखि फोन 😅
हर वक्त वो ही याद आए
उसके बिन ना रहा जाए
खुशबू ऐसी जी मचल जाए
ऐ सखि साजन? ना सखि चाय☕️
है दुश्मन पर उसी के पास जाऊ
वो रूलाए भी तो देख मुस्कुराऊ
मेरे दिलो दिमाग पर उसी की धौंस
आ सखि साजन? ना सखि बॉस 😜
हथेली में भर के मुख मेरा
चुपके से दे दे एक बोसा
वो पास आए तो भारी हो सांस
ऐ सखि साजन, ना सखि मास्क 😷-
साहिल क्या है,
एक सराब है ऐ
नादां-ए-मौज-ए-आब
लौटकर तुम्हे आखिर
सागर को ही जाना है-
हमसे तो नहीं होगा
नागंवार मसलों को
नज़रंदाज़ करना
किसी के दबाव में
जबरन हांमी भरना
जो गलत है वो गलत हैं
हमें मंज़ूर मुखालफ़त है
ये जीहुज़ूरी करना
हमसे तो नहीं होगा
हमसे तो नहीं होगा
नाम के रिश्तें निभाना
राब्ता ना हो फिर भी
जबरन वास्ता रखना
जो खत्म हुआ वो खत्म हुआ
हमें मंज़ूर तर्क-ए-ताल्लुक है
ये अहद-ए-वफा का रोना
हमसे तो नहीं होगा-
रखिए वाबस्तगी दोस्ती नहीं अदावत ही सही
हर किसी से मिले तबीयत ये ज़रूरी तो नहीं-
दिल में अदावत लबों पे मुस्कान रखते है
आँखों में नश्तर हो, मीठी ज़ुबान रखते है-