Time
there is a time
there isn't enough time-
मुझे.......
मेरे कर्मो से आंका जाता है
जो ख़ामोश हो कर बैठ जाऊं
तो अनचाही नजरों से देखा जाता है
मेरा यहां कोई वजूद नहीं है
क्यूंकि मुझमें कुछ बाकी ही नहीं है।
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हम घर को नहीं घर हमें अपनाता है,
अपने रंग भरी दीवारों पे वो यादें बिखेरता जाता है।
उसकी जीवंतता हमारे मन में उत्साह जगाती है,
ढलते उगते मौसम में वो हमें जीना सिखाती है।।-
एक घर ढूंढ रही हूं मैं.....
मां के गोद में आई तो कहा बेटी है ये। नन्हे कदमों से चली तो कहा संभल के पराई है ये। जो फैलाने चाहे पंख तो कहा क्या जरूरत है तुझे। सीख घर का काम अपने घर जाना है तुझे। दिखा के सपने हज़ार कर दिया विदा मुझे। कहके की जा बेटी अब वही रहना है तुझे। बहू से मां तक का सफर तय किया मैंने अपने हर एक रंग को बिखेर दिया मैंने। ये ससुराल है तुम्हारा माइका नहीं। बस इस एक शब्द ने तोड़ दिया मुझे ।जिसको सींचा अपने खून से, उसने भी कहा कि घर है मेरा क्या करना है तुझे। जो रहना हो यहां तो बस सुन मुझे। निशब्द हो के रह गई हूं....
बस एक घर अपना बनाना है मुझे।-
मित्र की सलाह
हर बात से परे होती है।
न कोई कानून झलकता है,
न कोई हिदायत होती है।
समझना और समझाना ही
उसकी आदत होती है।
जो सुख में सुखी और
दुःख में दुखी होवे
ऐसी उसकी शक्सियत होती है।
बिन तराजू के मोल ले
मित्रता ऐसी होती है।
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People say depression is a choice no it's not. The one who go through this knows the actual pain. It is very easy to say just indulge yourself in other activities, do what you love to do, go for a walk,be in nature, etc etc. They don't need suggestions they need a therapist who listens and understands what they are going through. They don't want to be judgemental by your thoughts.
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भूल कर बीती बातों को
बस मुस्कुराकर मिला करो।
माना की आसान नहीं ये सफ़र
पर ख़ुद को समझदार और
हमें नासमझ मान लिया करो।
तुमसे मिलने को तरस गए हैं ये नयन
रोज़ न सही पर कभी तो
याद कर लिया करो।
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अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाओ
उन्हें आज के लिए नहीं कल के लिए बनाओ।
माना की लड़का लड़की बराबर नहीं
पर उन्हें साथ चलने के काबिल बनाओ।
ज़िंदगी साथ जीने के लिए है
उन्हें साथ जीने के काबिल बनाओ।
लोगों का क्या है वो तो बातें करेंगे ही
पर बेटियों से पहले बेटों को काबिल बनाओ।-
वो खुश है ! हां वो खुश ही तो है
न कोई रोक न कोई टोक,
न ही कोई शारीरिक चोंट
रहने को घर, खाने को भोजन पेट भर
पहनने को कपड़े जीवन को पूर्ण करते बच्चे
भरा पूरा परिवार बस और क्या ही चाहिए इसे यार
यही तो है सुखी जीवन जो दिखने में है अति सुंदर।
ये उस मकान की है कहानी,
जहां बस्ती है कितनी जिंदगानी।
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