18 MAY 2019 AT 16:42


जो लहरों से आगे नज़र देख पाती
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचती हूं
वो आवाज़ तुम को भी जो भेद जाती
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचती हूं
ज़िद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता
खिड़कियों से आगे भी तुम देख पाते
आंखों से आदतों की जो पलकें हटाते
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचती हूं
मेरी तरह होता अगर ख़ुद पर ज़रा भरोसा
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते
रंग मेरी आंखों का बांटते ज़रा सा
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते
नशा आसमान का जो चूमता तुम्हें
हसरतें तुम्हारी नया जन्म पातीं
ख़ुद दूसरे जन्म में मेरी उड़ान छूने
कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते

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