जय माँ भारती ! सुप्रभात ! 🙏

हर सुबह आँखें खुलते ही छत पर आना / तुम्हारी जड़ों में पानी डालना / पत्तियों और फिर पंखुड़ियों को बढ़ते देखना / और फिर तुम्हारा यूँ खिलना / बढ़ना / अहा ! सचमुच खुद का खिलना जैसा है !

सीता राम शर्मा " चेतन "

-