बस यूं ही सुबह-सवेरे धूप का आनंद लेते हुए - - -
दशहरा, दिवाली, ईद, क्रिसमस
ये त्यौहार हैं या फिर ईश्वर के साथ इस मानवीय संसार को बांटने के बहाने !
सच यह है कि सब मानवता की भलाई के लिए महान प्रयास करने वाले विशिष्ट मनुष्यों के जीवन से जुड़े दिवस हैं ! दुर्भाग्य से उनके मानवीय आचरण को अपने जीवन में नहीं जी पाने वाले मनुष्यों ने उन महान मनुष्यों को ईश्वर बना यह सिद्ध कर दिया कि ऐसा जीवन ईश्वर ही जी सकते हैं, हम साधारण मनुष्य नहीं । यह उनके प्रति सम्मान है या उनका अपमान ?
ये महान मनुष्य भी मानवीय जीवन जीने वाले साधारण मनुष्य भर थे । यह सत्य जिस दिन मनुष्य जाति समझ जाएगी और उस विशिष्ट जीवन को साधारण जीवन समझ जीने लगेगी, उन महान मनुष्यों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । जब तक ऐसा नहीं होगा ये महान लोग और इनसे जुड़े इन दिवसों का लाभ सिर्फ गारे मिट्टी के बने हमारे घरों को साफ-सफाई के रूप में मिलता रहेगा, हमारे मानवीय शरीर और जीवन को कदापि नहीं । फिलहाल हमारा मनुष्य जगत इस सत्य को समझ और फिर उसे अपने जीवन आचरण में उतार पाए, उसकी प्रतीक्षा है - - -
सीता राम शर्मा " चेतन "
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